पश्चिम बंगाल के कोलकाता स्थित साल्ट लेक के शिक्षा विभाग के मुख्यालय के बाहर शुक्रवार को भी बर्खास्त शिक्षकों का धरना जारी रहा। ये शिक्षक अपनी नौकरी बहाल करने और उन्हें पुनः परीक्षा देने से छूट देने की मांग कर रहे हैं। गुरुवार को हुए प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने शिक्षकों पर लाठीचार्ज किया था, जिसमें कई शिक्षक घायल हुए और 60 से अधिक को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था। इसके बावजूद शुक्रवार को हजारों शिक्षक फिर से जमा होकर विरोध प्रदर्शन जारी रखा।
प्रदर्शनकारियों ने पुलिस की कार्रवाई पर तीखे आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि वे शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे थे और बीमार व महिला कर्मचारियों को निकलने की इजाजत भी दी थी, तब अचानक पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज कर दिया। शुक्रवार शाम को कई नागरिक अधिकार कार्यकर्ता और राजनीतिक दलों के सदस्य भी प्रदर्शन का समर्थन करने पहुंच रहे हैं, जिससे आंदोलन में और उछाल आने की संभावना है।
इस घटना पर भाजपा ने ममता सरकार को कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा है। पार्टी के नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी पर तानाशाही और भ्रष्टाचार की छाया बनाए रखने का आरोप लगाया। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने भी कहा कि राज्य में शिक्षक नियुक्तियां खरीद-फरोख्त की वस्तु बन गई हैं। अधिकारी ने कहा कि उन्होंने स्वयं परीक्षा देकर नौकरी पाई थी और वर्तमान में प्रतिभाशाली उम्मीदवारों के साथ अन्याय हो रहा है।
यह वही शिक्षक हैं जिनकी नियुक्तियां सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद रद्द की गई थीं। कोर्ट ने 2016 की स्कूल सर्विस कमिशन (SSC) परीक्षा के तहत हुई 25,753 नियुक्तियों को भ्रष्ट और अवैध करार दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने निर्दोष पाए गए शिक्षकों को 31 दिसंबर 2025 तक काम करने और वेतन प्राप्त करने की अनुमति दी है।