रायपुर। वाणिज्यिक कर (पंजीयन एवं आबकारी) विभाग, छत्तीसगढ़ के पूर्व विशेष आयुक्त टी.एल. धुव के खिलाफ लंबे समय से चले आ रहे विवाद ने फिर से जोर पकड़ लिया है। इस मामले से जुड़े विभागीय पत्राचार और मुख्यमंत्री सचिवालय के दस्तावेज़ अब सामने आए हैं, जिससे पूरे प्रकरण में नई हलचल मच गई है। शिकायतकर्ता कैलाश चन्द्र लायवा ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि अब वे राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से न्याय की मांग करेंगे।
क्या है मामला?
इंदौर निवासी कैलाश चन्द्र लायवा ने वर्ष 2007 में टी.एल. धुव पर गंभीर आरोप लगाए थे। आरोपों में मनमानी करने, सरकारी आदेशों की अनदेखी करने, फर्जी दस्तावेज़ तैयार कर राजस्व हानि पहुंचाने और धमकी देने जैसी बातें शामिल थीं। लायवा ने कई बार राज्य शासन, मुख्यमंत्री सचिवालय और वाणिज्यिक कर विभाग में शिकायतें दर्ज कराईं।
वर्ष 2022 में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में टी.एल. धुव को सेवा में पुनः बहाल करने और वेतन व लाभ देने का निर्देश दिया। विभाग ने कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए टी.एल. धुव को सेवा में पुनः नियुक्त किया और सभी लाभ प्रदान कर दिए।
शिकायतकर्ता का आरोप जारी
हालांकि, कैलाश चन्द्र लायवा का कहना है कि टी.एल. धुव ने गलत तरीके से सेवा में बहाली करवाई और उनकी शिकायतों को दबाने का प्रयास किया गया। लायवा ने हाल ही में फिर मुख्यमंत्री सचिवालय को पत्र लिखकर निष्पक्ष जांच की मांग की है।
विभाग का जवाब
वाणिज्यिक कर विभाग ने 09 दिसंबर 2024 को पत्र जारी कर कहा कि उच्च न्यायालय के आदेश का पालन कर लिया गया है और वर्तमान में किसी अतिरिक्त कार्रवाई की आवश्यकता नहीं है। विभाग ने साफ कर दिया कि इस मामले में उसकी कोई और जवाबदेही नहीं बनती।
मुख्यमंत्री सचिवालय ने भी इस संबंध में 14 अक्टूबर 2024 और 19 मार्च 2025 को विभाग से रिपोर्ट मांगी थी, जिसमें विभाग ने पुनः अदालत के आदेश का पालन करने की जानकारी दी।
शिकायतकर्ता का बयान
कैलाश चन्द्र लायवा ने कहा, “मैं पिछले 17 वर्षों से न्याय की लड़ाई लड़ रहा हूं। पहले अधिकारियों ने मेरी बात नहीं सुनी, फिर मजबूरी में अदालत का आदेश मानना पड़ा। लेकिन आज भी मुझे न्याय नहीं मिला। अब मैं राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से मदद मांगूंगा।”
विपक्ष का मत
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “इतने वर्षों से कोई शिकायत कर रहा है तो प्रशासन को निष्पक्ष जांच करनी चाहिए। सिर्फ कोर्ट का आदेश मान लेना काफी नहीं, आरोपों की गहराई से जांच जरूरी है।”
विभागीय सूत्रों की प्रतिक्रिया
विभागीय सूत्रों के अनुसार, विभाग ने अदालत के आदेश का पालन कर लिया है, अब आगे की कार्रवाई शासन स्तर पर तय होगी।
यह मामला एक बार फिर प्रशासनिक पारदर्शिता और जवाबदेही पर सवाल खड़े करता है।