रायपुर, छत्तीसगढ़: छत्तीसगढ़ में अंधविश्वास के कारण वन्य जीवों का शिकार और उनके अवशेषों की तस्करी लगातार बढ़ती जा रही है। तस्कर अब रायपुर को वन्य प्राणियों के अवशेषों के लिए सुरक्षित बाजार बना चुके हैं। हाल ही में वन विभाग की रेंज स्तरीय टीम ने एक बड़ी तस्करी का पर्दाफाश किया है, जिसमें तांत्रिक ने लक्ष्मी पूजा के लिए हिरण की खाल और सींग की डील की थी।
कैसे हुआ खुलासा?
27 मई को वन विभाग को मुखबिर से सूचना मिली कि तीन आरोपी बोलेरो में वन्य प्राणियों के अवशेष लेकर रायपुर आ रहे हैं। टीम ने विधानसभा-बलौदाबाजार रोड पर घेराबंदी कर तीनों आरोपियों को पकड़ लिया। आरोपियों के कब्जे से हिरण की खाल और पांच सींग बरामद हुए।
आरोपियों की पहचान:
रायपुर के आनंद श्रीवास्तव (तांत्रिक), पीपरछेड़ी कसडोल के तुलाराम पटेल और भागीरथ पैकरा को गिरफ्तार किया गया। आरोपियों ने बताया कि ये अवशेष ढाई लाख रुपये की डील में थे। आनंद श्रीवास्तव ने स्वीकार किया कि लक्ष्मी पूजा में खाल का उपयोग किया जाएगा।
वन विभाग की कार्रवाई:
रेंजर दीपक तिवारी के अनुसार, खाल करीब छह महीने पुरानी थी और इसे भागीरथ के पास से बरामद किया गया। तस्करों पर वन अधिनियम के तहत कड़ी कार्रवाई की गई है। आनंद पहले भी हथियार के साथ जंगलों में पकड़ा जा चुका है।
शिकार की घटनाओं में वृद्धि:
बारनवापारा और पिरदा के जंगल शिकारियों के लिए सेंफ जोन बनते जा रहे हैं। हाल ही में दो और शिकारियों को गिरफ्तार किया गया, जिनके पास एयरगन और अन्य उपकरण बरामद हुए। पिछले चार वर्षों में छत्तीसगढ़ में 220 से अधिक हिरणों का शिकार हो चुका है।