हैदराबाद में हुआ अहम हस्तांतरण, आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एचएएल को मिला बड़ा सहयोग
रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर एक और महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, तेजस एमके1ए लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) के लिए पहली सेंटर फ्यूजलेज असेंबली का निर्माण निजी भारतीय कंपनी वीईएम टेक्नोलॉजीज द्वारा सफलतापूर्वक किया गया और इसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को सौंपा गया। यह कार्यक्रम 30 मई को हैदराबाद में आयोजित किया गया, जहां रक्षा उत्पादन सचिव संजीव कुमार और एचएएल के सीएमडी डीके सुनील की मौजूदगी रही।
निजी कंपनियों को मिली तकनीकी मजबूती
यह पहली बार है जब तेजस विमान के किसी प्रमुख संरचनात्मक हिस्से का निर्माण निजी क्षेत्र की भारतीय कंपनी द्वारा किया गया है। इससे भारत में एक मजबूत एयरोस्पेस पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण की दिशा में प्रगति हुई है। HAL ने LCA तेजस की उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए चौथी लाइन की स्थापना हैदराबाद में की है, जबकि तीन लाइनें पहले से बेंगलुरु और नासिक में संचालित हो रही हैं।
तेजस उत्पादन को मिलेगा नया बल
एचएएल प्रमुख डीके सुनील ने भरोसा दिलाया कि अब तेजस एमके1ए का उत्पादन तेज़ी से बढ़ेगा और भारतीय वायुसेना को समय पर डिलीवरी सुनिश्चित की जाएगी। HAL अब इस आउटसोर्सिंग मॉडल को आगामी रक्षा परियोजनाओं में भी लागू करेगा, जिससे देशी क्षमताओं का अधिकतम उपयोग हो सके।
स्वदेशी कंपनियों को मिल रहा लाभ
वीईएम टेक्नोलॉजीज के अलावा, HAL ने एलएंडटी, टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स, अल्फा टोकोल और लक्ष्मी मशीन वर्क्स जैसी कंपनियों के साथ मिलकर एक राष्ट्रीय एयरोस्पेस नेटवर्क तैयार किया है। ये कंपनियां अब सेंटर फ्यूजलेज, विंग्स, फिन्स, रडर, एयर इनटेक जैसे जटिल हिस्से भारत में ही बना रही हैं।
रक्षा उत्पादन में 10% वार्षिक वृद्धि
रक्षा उत्पादन सचिव ने बताया कि भारत का रक्षा उत्पादन क्षेत्र 10 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है और निर्यात में भी उल्लेखनीय वृद्धि हो रही है। उन्होंने यह भी कहा कि देश की सुरक्षा के लिए आत्मनिर्भरता जरूरी है, और इसका रास्ता अपने ही देश में उपकरणों के निर्माण से होकर गुजरता है।
MSME और युवाओं को मिल रहा रोजगार
HAL अब तक 6,300 से अधिक भारतीय कंपनियों के साथ मिलकर काम कर चुका है, जिनमें 2,448 MSME शामिल हैं। इससे हजारों लोगों को रोजगार मिला है और घरेलू सप्लाई चेन को मजबूती मिली है। पिछले तीन वर्षों में HAL ने 13,763 करोड़ रुपये के ऑर्डर भारतीय विक्रेताओं को दिए हैं।