छत्तीसगढ़ देश का प्रमुख धान उत्पादक राज्य है, जहां हर साल बड़ी मात्रा में धान की खरीदारी की जाती है। इस बार धान के भंडारण और बिक्री को लेकर एक बड़ी समस्या सामने आई है। हजारों करोड़ रुपए मूल्य का अतिरिक्त धान गोदामों में पड़ा हुआ है, लेकिन खरीदारों की कमी से उसकी बिक्री नहीं हो पा रही है।
स्थिति का विवरण:
राज्य के संग्रहण केन्द्रों में इस समय करीब 33 लाख मीट्रिक टन अतिरिक्त धान जमा है। इस धान की बिक्री के लिए अब तक 15 लाख मीट्रिक टन की ई-नीलामी की जा चुकी है, लेकिन 18 लाख मीट्रिक टन से अधिक धान की खरीदी ही नहीं हो पा रही है। इससे न केवल आर्थिक संकट गहरा गया है बल्कि भंडारण क्षमता पर भी दबाव बन गया है।
वर्तमान संकट का कारण:
धान की इस अधिकता के बावजूद बाजार में खरीदार नहीं मिल रहे हैं। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत राशन कार्डधारकों को वितरण के लिए आवश्यक धान की मात्रा पहले ही आरक्षित कर दी गई है। इसके अलावा, नागरिक आपूर्ति निगम, एफसीआई तथा अन्य एजेंसियों द्वारा भी सीमित मात्रा में ही खरीदारी की जा रही है।
एफसीआई की भूमिका:
भारतीय खाद्य निगम (FCI) ने अब तक 15.81 लाख मीट्रिक टन चावल का भंडारण किया है, जो लक्ष्य के मुकाबले काफी कम है। एफसीआई को 71 लाख मीट्रिक टन चावल उठाने का लक्ष्य दिया गया था, लेकिन अब तक केवल 5.58 लाख मीट्रिक टन चावल ही उठाया गया है। इससे राज्य में धान का स्टॉक और बढ़ता जा रहा है।