वाराणसी। शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के कुर्बानी को लेकर दिए गए बयान पर वाराणसी के मुफ्ती-ए-शहर मौलाना अब्दुल बातिन नोमानी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि “स्वामी जी का बयान गैर जिम्मेदाराना है। हमें उनसे ऐसे बयान की उम्मीद नहीं थी। वे हमेशा धार्मिक सौहार्द की बात करते आए हैं। ऐसे में इस तरह का वक्तव्य चौंकाने वाला है।”
“धर्म का पालन उसके सिद्धांतों के अनुसार होता है”
मौलाना नोमानी ने कहा कि “हर मजहब के अपने संस्कार होते हैं। कुछ परंपराएं हमें समझ नहीं आतीं, लेकिन हम उनका विरोध नहीं करते। इस्लाम में कुर्बानी अल्लाह और रसूल के आदेश के अनुसार की जाती है। जब इब्राहिम अलैहिस्सलाम अपने बेटे इस्माइल को कुर्बानी देने चले, तो अल्लाह ने उसके बदले एक जानवर भेजा। तभी से यह परंपरा शुरू हुई।”
“किसी धर्म को समझ में न आना, विरोध का कारण नहीं”
उन्होंने कहा, “हम भी कई धर्मों के रीति-रिवाजों को पूरी तरह नहीं समझ पाते, लेकिन हम उनका सम्मान करते हैं। उसी प्रकार, इस्लाम को भी उसी दृष्टि से देखा जाना चाहिए। किसी की धार्मिक मान्यताओं पर टिप्पणी करना न तो उचित है और न ही संवैधानिक।”
“गाय की बलि को लेकर स्पष्टता जरूरी”
शंकराचार्य ने अपने बयान में कहा था कि बकरीद पर बकरा काटने की परंपरा समझ से परे है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कुछ लोग जानबूझकर हिंदुओं को चिढ़ाने के लिए गाय की बलि देते हैं। उन्होंने सरकार और पुलिस से मांग की कि गाय और बैल की किसी भी प्रकार की बलि रोकी जाए।
“गौमाता के सम्मान में हिंदू भावनाएं जुड़ी हैं”
शंकराचार्य ने अपील की कि “किसी भी हालत में गौमाता की हत्या न हो। यह हिंदू समाज की आस्था से जुड़ा विषय है। अगर ऐसा हुआ तो प्रशासनिक चुनौती उत्पन्न हो सकती है। सभी गोभक्तों को कानूनी तरीके से सजग रहकर गौमाता की रक्षा करनी चाहिए।”
“धर्मों के बीच संवाद और सम्मान आवश्यक”
मौलाना नोमानी ने अंत में कहा, “हमारे पुराने संबंध हैं स्वामी जी से। उम्मीद थी कि वे विचारपूर्वक बात करेंगे। समाज को जोड़ने वाले धर्मगुरुओं को ऐसा कोई भी बयान नहीं देना चाहिए जिससे किसी समुदाय को ठेस पहुंचे। हमें एक-दूसरे के धर्म का सम्मान करना चाहिए, क्योंकि भारत विविधताओं का देश है।”