दिल्ली उच्च न्यायालय में तुर्किये की कंपनी सेलेबी एयरपोर्ट सर्विसेज के खिलाफ भारत सरकार द्वारा सिक्योरिटी क्लीयरेंस रद्द किए जाने के मामले की सुनवाई हुई। केंद्र सरकार ने कहा कि जब राष्ट्रीय सुरक्षा का सवाल हो, तब नियम-कानून गौण हो जाते हैं।
केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तर्क दिया कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय को सिक्योरिटी क्लीयरेंस देने या रद्द करने का अधिकार है और यह फैसला बिना कारण बताए भी लिया जा सकता है। मेहता ने यह भी कहा, “अगर राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा हो, तो वहां नियम-कायदे नहीं देखे जाते। दुश्मन को एक बार ही मौका चाहिए होता है, जबकि सुरक्षा एजेंसियों को हर बार सतर्क रहना होता है।”
कंपनी का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि सेलेबी बीते 17 वर्षों से भारत में काम कर रही है और बिना सुनवाई या कारण बताए उसका संचालन बंद करना उचित नहीं है। उन्होंने इसे “भावनात्मक निर्णय” करार दिया और कहा कि यह फैसला सिर्फ इसलिए लिया गया क्योंकि कंपनी तुर्किये की है।
गौरतलब है कि भारत-पाकिस्तान तनाव के दौरान तुर्किये ने पाकिस्तान का समर्थन किया था और ड्रोन भी भेजे थे। इसके बाद भारत में तुर्की उत्पादों के बहिष्कार की मांग उठी। ऐसे माहौल में भारत सरकार ने 15 मई को सेलेबी एयरपोर्ट सर्विसेज की सुरक्षा मंजूरी रद्द कर दी।
अदालत ने केंद्र सरकार से पूछा है कि किस कानूनी प्रावधान के तहत यह फैसला लिया गया है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 21 मई को होगी।