सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित कोयला लेवी घोटाले में बड़ा फैसला सुनाते हुए राज्य के निलंबित आईएएस रानू साहू, समीर विश्नोई, पूर्व उप सचिव सौम्या चौरसिया और व्यापारी सूर्यकांत तिवारी समेत सात आरोपियों को अंतरिम जमानत दे दी है। यह आदेश प्रवर्तन निदेशालय (ED) और एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) द्वारा दर्ज मामलों में दिया गया है।
🌑 क्या है पूरा मामला?
यह घोटाला जुलाई 2020 से दिसंबर 2022 के बीच छत्तीसगढ़ में कथित रूप से हुआ था। ED के अनुसार, कोयले के हर टन पर ₹25 की ‘लेवी’ (अवैध वसूली) की जा रही थी। इस अवैध वसूली का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है व्यापारी सूर्यकांत तिवारी, जिसे नौकरशाहों और राजनेताओं का पूरा समर्थन मिला हुआ था।
घोटाले का खुलासा ED की कई छापेमारियों और बैंक ट्रांजैक्शनों की जांच के बाद हुआ। एजेंसी ने इसे ₹570 करोड़ का घोटाला बताया है।
🧑⚖️ कोर्ट ने किन्हें दी जमानत?
सौम्या चौरसिया (पूर्व उप सचिव, मुख्यमंत्री कार्यालय)
समीर विश्नोई (IAS अधिकारी)
रानू साहू (IAS अधिकारी)
सूर्यकांत तिवारी (व्यापारी)
राजनिकांत तिवारी
वीरेंद्र जायसवाल
संदीप नायक
इन सभी को सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है।
📜 सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि:
आरोपी छत्तीसगढ़ में नहीं रहेंगे, ताकि जांच प्रभावित न हो।
उन्हे छत्तीसगढ़ के बाहर अपने निवास की जानकारी पुलिस को सबसे होगी।
सभी को अपना पासपोर्ट विशेष अदालत में जमा करना होगा।
जरूरत पड़ने पर जांच एजेंसियों के सामने उपस्थित रहना होगा।
🚫 सूर्यकांत को तुरंत रिहाई नहीं
हालांकि, सूर्यकांत तिवारी के खिलाफ अन्य मामलों में भी जांच जारी है। इसलिए उन्हें अभी जेल में ही रहना होगा जब तक अन्य मामलों में भी जमानत नहीं मिलती।