छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में एक समय मेट्रो शहर बनने का सपना देखा जा रहा था। सड़कों का जाल, ओवरब्रिज, रिंग रोड और स्काई वॉक जैसी योजनाएं इस सपने को साकार करने की ओर बढ़ती प्रतीत होती थीं। इस सोच को साकार रूप देने का श्रेय जाता है छत्तीसगढ़ के पूर्व लोक निर्माण मंत्री राजेश मूणत को, जिनके कार्यकाल में रायपुर को स्काई वॉक जैसी आधुनिक संरचना की सौगात मिली।
जब देश के कई महानगरों में स्काई वॉक जैसी परियोजनाएँ पैदल यात्रियों के लिए वरदान साबित हो रही हैं, तब रायपुर जैसे उभरते शहर में ऐसे नवाचारों का स्वागत किया जाना चाहिए। मुंबई के 36 स्काई वॉक प्रतिदिन लाखों लोगों की आवाजाही को सरल और सुरक्षित बना रहे हैं। दिल्ली का धौला कुआं स्काई वॉक एक ऐसा उदाहरण है, जिसने यात्रियों की दूरी को न केवल कम किया, बल्कि ट्रैफिक दबाव को भी घटाया।
फिर चर्चा में स्काई वॉक
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के शास्त्री चौक से अंबेडकर अस्पताल तक प्रस्तावित स्काई वॉक परियोजना को फिर से शुरू करने की तैयारियाँ चल रही हैं। यह परियोजना पहली बार 2016-17 में राजेश मूणत के नेतृत्व में शुरू हुई थी, जिसका उद्देश्य था पैदल यात्रियों को एक सुरक्षित, सुगम और आधुनिक मार्ग प्रदान करना।
करीब 1.5 किलोमीटर लंबे इस स्काई वॉक में 12 एस्केलेटर, 12 सीढ़ियाँ और लिफ्ट जैसी सुविधाएँ प्रस्तावित थीं। यह संरचना पैदल यात्रियों के लिए ट्रैफिक से बचने का सुरक्षित विकल्प साबित हो सकती थी। लेकिन 2019 में कांग्रेस सरकार के सत्ता में आने के बाद इसमें भ्रष्टाचार और गुणवत्ता को लेकर सवाल उठे और निर्माण कार्य को रोक दिया गया। उस समय तक परियोजना का लगभग 70% कार्य पूरा हो चुका था।
राजनीतिक खींचतान बनी रुकावट
इस योजना की प्रगति में सबसे बड़ी बाधा रही राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप। कांग्रेस ने इस परियोजना को “कमीशन वॉक” कहकर नकार दिया, जबकि भाजपा ने कांग्रेस पर विकास विरोधी रवैया अपनाने का आरोप लगाया। भूपेश बघेल सरकार ने द्वेषपूर्ण इस परियोजना को बंद करने का काम किया। कांग्रेस सरकार ने विधानसभा स्तर पर एक जांच समिति का गठन किया, लेकिन कमेटी ने पाँच वर्षों में भी कोई ठोस निर्णय नहीं लिया।
स्काई वॉक की उपयोगिता पर फिर से विचार
शहर में हर दिन करीब 40,000 लोग शास्त्री चौक से अंबेडकर अस्पताल के बीच पैदल यात्रा करते हैं। ऐसे में स्काई वॉक के शुरू होने से इन यात्रियों को भारी ट्रैफिक और बसों की भीड़ से निजात मिल सकती है। खासकर अस्पताल आने-जाने वाले मरीजों, डॉक्टरों और तीमारदारों के लिए यह एक बड़ी राहत होगी। राजेश मूणत का मानना था कि शहर के विकास में पैदल यात्रियों के लिए भी सम्मानजनक और सुरक्षित वातावरण आवश्यक है। उनका विजन था कि रायपुर को एक ऐसा स्वरूप मिले, जो आधुनिकता और नागरिक सुविधा का उदाहरण बने।
स्काई वॉक के संभावित फायदे
- पैदल यात्रियों को ट्रैफिक से सुरक्षित मार्ग मिलेगा।
- अस्पताल क्षेत्र में भीड़भाड़ में कमी और आपातकालीन सेवाओं में सहूलियत।
- ट्रैफिक प्रबंधन में सुधार और दुर्घटना की आशंका में कमी।
- रायपुर को एक दृष्टिनंदन संरचना के रूप में पहचान मिलेगी।
- स्मार्ट सिटी मिशन के तहत शहर की ब्रांड वैल्यू बढ़ेगी।
- पर्यटकों और आगंतुकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन सकता है।
भारत के प्रमुख शहरों में स्काई वॉक की स्थिति
मुंबई: 36 स्काई वॉक जो रेलवे स्टेशनों और व्यस्त सड़कों को जोड़ते हैं। बांद्रा स्काई वॉक: 1.3 किमी लंबा, बांद्रा स्टेशन से कालानगर तक। सांताक्रूज़, सायन, दहिसर, वडाला, घाटकोपर आदि क्षेत्रों में मौजूद।
दिल्ली: धौला कुआं स्काई वॉक (1 किमी): एयरपोर्ट एक्सप्रेस से पिंक लाइन तक। ITO, सराय काले खां जैसे क्षेत्रों में भी स्काई वॉक।
हैदराबाद: मेहदीपट्टनम जंक्शन: प्रस्तावित स्काई वॉक। हाइटेक सिटी और मियापुर में मौजूद।
चेन्नई: तांबरम, वडापलानी आदि रेलवे स्टेशनों व चौराहों पर स्काई वॉक।
कोलकाता: हावड़ा, सियालदह जैसे रेलवे स्टेशनों के पास मौजूद।
बेंगलुरु: केआर पुरम, यशवंतपुर जैसे क्षेत्रों में सुरक्षित स्काई वॉक।
रायपुर में बना स्काई वॉक भले ही अब तक बहस का विषय रहा हो, लेकिन अगर उसे सही ढंग से जोड़ा जाए सार्वजनिक परिवहन, बाजार, और प्रमुख स्थलों से तो यह भी जनजीवन को नई गति और सुविधा दे सकता है। आलोचना से पहले देश के अन्य शहरों की सफल परियोजनाओं का अवलोकन जरूरी है। यदि शहरों का स्मार्ट विकास उद्देश्य है, तो स्काई वॉक जैसे नवाचार बाधा नहीं, अवसर बनने चाहिए।