भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) को उस समय झटका लगा जब रविवार को उसका बहुप्रतीक्षित PSLV-C61 मिशन सफल नहीं हो सका। इस मिशन का उद्देश्य उन्नत पृथ्वी अवलोकन उपग्रह EOS-09 को सूर्य समकालिक ध्रुवीय कक्षा (SSPO) में स्थापित करना था, लेकिन रॉकेट के तीसरे चरण में आई तकनीकी गड़बड़ी के कारण उपग्रह अपनी निर्धारित कक्षा तक नहीं पहुंच पाया।
इस असफलता के बाद ISRO ने तुरंत एक विशेषज्ञ समिति गठित कर दी है जो इस मिशन के असफल होने के कारणों की गहराई से जांच कर रही है। इसरो प्रमुख वी. नारायणन ने बताया कि श्रीहरिकोटा से यह उनका 101वां मिशन था और शुरुआती दो चरणों तक सब कुछ सामान्य रहा, लेकिन तीसरे चरण में खराबी सामने आई जिससे सैटेलाइट कक्षा में नहीं पहुंच सका।
क्या है PSLV रॉकेट की कार्यप्रणाली?
पीएसएलवी एक चार-चरणीय रॉकेट है, जिसमें पहले और तीसरे चरण में ठोस ईंधन का उपयोग होता है जबकि दूसरे और चौथे चरण में तरल प्रणोदन प्रणाली का प्रयोग किया जाता है। तीसरा चरण विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यह उपग्रह को ऊपरी वायुमंडल में सही दिशा में भेजता है। यहीं पर इस बार तकनीकी खामी दर्ज की गई।
EOS-09 सैटेलाइट के फायदे
EOS-09 उपग्रह का वजन लगभग 1,696 किलोग्राम है और इसका कार्यकाल पांच वर्षों का निर्धारित था। यह कृषि निगरानी, वानिकी, आपदा प्रबंधन, शहरी नियोजन और सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला था।
क्या यह पहली बार हुआ?
ऐसा पहली बार नहीं है जब पीएसएलवी मिशन में समस्या आई हो। 1993 और 2017 में भी दो मिशन आंशिक रूप से असफल रहे थे। फिर भी, पीएसएलवी अब तक 60 से अधिक सफल मिशनों के साथ ISRO की रीढ़ माना जाता है।
ISRO की आगे की योजना
नारायणन ने कहा कि समिति द्वारा जांच पूरी होने के बाद पूरे देश को सही कारणों से अवगत कराया जाएगा। ISRO आने वाले महीनों में हर माह एक मिशन लॉन्च करने की योजना पर काम कर रहा है।