छिंदवाड़ा (मध्यप्रदेश)। धरती से करीब 3000 फीट नीचे, घने जंगलों और गहरी घाटियों के बीच बसा है पातालकोट—एक ऐसा इलाका जो अब तक रहस्यमयी और प्रकृति की गोद में छिपा हुआ था। लेकिन अब यह क्षेत्र सिर्फ प्राकृतिक सुंदरता ही नहीं, बल्कि औषधीय खजाने के लिए भी चर्चा में आ गया है।
यहां हाल ही में शुरू हुआ है एक वेलनेस सेंटर, जो आदिवासी परंपराओं और आयुर्वेदिक ज्ञान पर आधारित है। खास बात यह है कि इस क्षेत्र में पाई जाती हैं 200 से ज्यादा दुर्लभ जड़ी-बूटियां, जिनका उपयोग झड़ते बालों को रोकने, हड्डियों को जोड़ने, त्वचा रोगों से लेकर पाचन तंत्र तक की समस्याओं में किया जा रहा है।
आदिवासियों की सदियों पुरानी परंपरा का नया रूप
पातालकोट के आदिवासी वर्षों से इन जड़ी-बूटियों का उपयोग करते आ रहे हैं। अब इन्हीं परंपरागत नुस्खों को आधुनिक वेलनेस ट्रीटमेंट में बदला गया है। स्थानीय वैद्य और प्रशिक्षित स्टाफ मिलकर इलाज करते हैं, जिसमें कोई केमिकल दवा नहीं दी जाती।
हर साल बढ़ रहा है टूरिस्ट्स का रुझान
प्राकृतिक इलाज की मांग और अनोखी जगह की वजह से यहां पर्यटकों का आना तेजी से बढ़ रहा है। लोग दूर-दूर से आते हैं, सिर्फ इलाज के लिए नहीं, बल्कि पातालकोट की शांति और ऊर्जा को महसूस करने के लिए भी।
बालों का झड़ना, गठिया और त्वचा रोग में असरदार
यहां जो जड़ी-बूटियां पाई जाती हैं, उनमें ‘गिलोय’, ‘अश्वगंधा’, ‘कुटकी’, ‘सालम मिश्री’ जैसी औषधियां प्रमुख हैं। ये शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने, गठिया और जोड़ों के दर्द में राहत देने और झड़ते बालों को रोकने में मददगार मानी जा रही हैं।
सरकार और प्रशासन की पहल
राज्य सरकार ने भी यहां के प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित रखने और आदिवासियों की परंपरागत ज्ञान को वैश्विक पहचान दिलाने के लिए योजनाएं बनाई हैं। साथ ही, वेलनेस टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए सुविधाएं भी दी जा रही हैं।