पश्चिम एशिया में हालात तेजी से बिगड़ रहे हैं। इस्राइल-हमास संघर्ष के बीच ईरान और इस्राइल के बीच भी तनाव चरम पर पहुंच रहा है। वहीं, अमेरिका और ईरान के बीच परमाणु समझौते को लेकर बातचीत लगातार विफल होती दिख रही है। इस माहौल में अमेरिका ने बड़ा कदम उठाते हुए इराक, बहरीन, कुवैत और इरबिल (इराकी कुर्दिस्तान) से अपने गैर-जरूरी सैनिकों, दूतावास कर्मचारियों और उनके परिवारों को वापस बुलाने का फैसला किया है।
अमेरिकी विदेश विभाग ने पेंटागन के साथ मिलकर यह निर्णय लिया है। अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने भी इन स्थानों से अतिरिक्त कर्मियों को निकालने की मंजूरी दे दी है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि अमेरिका अपने नागरिकों और सैनिकों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है।
सैनिकों के परिवार भी लौटेंगे
इस्राइली मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिका ने इराक, बहरीन और कुवैत में अपने दूतावासों और सैन्य ठिकानों पर तैनात अतिरिक्त कर्मियों और उनके परिवारों को भी वापस बुलाना शुरू कर दिया है। राष्ट्रपति ट्रंप ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “पश्चिम एशिया बेहद संवेदनशील क्षेत्र है, इसलिए हमने अपने लोगों को स्वदेश लौटने की अनुमति दी है।”
ईरान की सख्त चेतावनी
ईरान ने भी अमेरिका को कड़ी चेतावनी दी है। ईरान के रक्षा मंत्री ने कहा है कि अगर परमाणु समझौते पर सहमति नहीं बनती है और संघर्ष की स्थिति उत्पन्न होती है तो अमेरिका को पूरे पश्चिम एशिया से हटना पड़ेगा। उन्होंने यह भी दावा किया कि इस क्षेत्र में मौजूद अमेरिकी सैन्य ठिकाने उनकी मिसाइलों की पहुंच में हैं।
इस्राइल को ट्रंप की सलाह
अमेरिकी मीडिया के अनुसार, राष्ट्रपति ट्रंप ने हाल ही में इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से बातचीत की थी और ईरान पर हमला करने से बचने की सलाह दी थी। कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि इस्राइल, ईरान के परमाणु ठिकानों पर सैन्य कार्रवाई की योजना बना रहा था।
पश्चिम एशिया में बढ़ता यह तनाव क्षेत्रीय और वैश्विक शांति के लिए गंभीर चुनौती बनता जा रहा है।