अमरनाथ यात्रा की ड्यूटी के लिए रवाना हो रहे सीमा सुरक्षा बल (BSF) के 1200 जवानों को बेहद खराब हालत वाली ट्रेन उपलब्ध कराई गई थी। ट्रेन की खस्ता स्थिति देखकर जवानों ने उसमें चढ़ने से साफ इनकार कर दिया। ट्रेन में खिड़कियां टूटी हुई थीं, दरवाजे जाम थे, बिजली की सुविधा न के बराबर थी और शौचालय बेहद गंदे थे। जवानों ने इसे ‘अमानवीय’ स्थिति बताते हुए विरोध दर्ज कराया।
बीएसएफ अधिकारियों ने जब ट्रेन का निरीक्षण किया तो पाया कि ट्रेन महीनों से बिना देखरेख के खड़ी थी। कोचों के अंदर गंदगी, टूटे सामान, खराब लाइटिंग और फर्श पर कॉकरोच देखे गए। जवानों के हथियार, रहने और सामान रखने की भी उचित व्यवस्था नहीं थी। जवानों का कहना था कि इस ट्रेन में यात्रा करना जोखिम भरा है।
यह मामला उच्च अधिकारियों तक पहुंचने के बाद चार दिन के अंदर भारतीय रेलवे के एनएफआर जोन ने जवानों के लिए दूसरी ट्रेन की व्यवस्था की। अब जवान नई ट्रेन से कश्मीर रवाना हुए। हालांकि ट्रेन की बदली व्यवस्था के कारण अमरनाथ यात्रा ड्यूटी में उनकी तैनाती में देरी हो गई।
गौरतलब है कि बीएसएफ के ये जवान त्रिपुरा, असम और पश्चिम बंगाल के विभिन्न रेलवे स्टेशनों से स्पेशल ट्रेन नंबर 00709 में सवार होकर जम्मू तवी स्टेशन के लिए रवाना होने वाले थे। इस स्पेशल ट्रेन में बीएसएफ के त्रिपुरा, गुवाहाटी और एम एंड सी फ्रंटियर की 13 कंपनियों के जवान शामिल थे।
बीएसएफ जवान ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में अपनी वीरता के लिए देशभर में सम्मान पा चुके हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी जम्मू में बीएसएफ के योगदान की सराहना करते हुए कहा था कि जवानों ने पाकिस्तान की 118 से अधिक चौकियों को तबाह कर दिया था। ऐसे बहादुर जवानों को बेहतर सुविधाएं मिलना जरूरी है।