पड़ोसी देश में बढ़ती बेचैनी: क्या चीन ने पाकिस्तान को कर्ज देना बंद कर दिया? शहबाज शरीफ के ‘भीख के कटोरे’ वाले बयान से उठे सवाल

पाकिस्तान की चरमराती आर्थिक स्थिति अब दुनिया के सामने उजागर हो चुकी है। कर्ज की लत में डूबे इस्लामाबाद को अब चीन जैसे उसके पुराने समर्थक भी नजरअंदाज करने लगे हैं। इसका खुलासा खुद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने अपने हालिया भाषण में किया है। उन्होंने स्वीकार किया कि अब सहयोगी देश पाकिस्तान से आर्थिक सहयोग की उम्मीद नहीं रखते, बल्कि व्यापार, अनुसंधान और निवेश जैसे मुद्दों पर भागीदारी चाहते हैं।

शरीफ ने बलूचिस्तान के क्वेटा में सैन्य अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि चीन, सऊदी अरब, अजरबैजान, यूएई और तुर्किये अब पाकिस्तान से ‘भीख के कटोरे’ वाली नीति नहीं बल्कि परस्पर लाभकारी समझौते की उम्मीद करते हैं। उन्होंने यह भी जोड़ा कि अब समय आ गया है कि पाकिस्तान अपनी मानव और प्राकृतिक संसाधनों का सही उपयोग करे।

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था लंबे समय से कर्ज के सहारे चल रही है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने 1958 से अब तक पाकिस्तान को 25 बेलआउट पैकेज दिए हैं। हाल ही में पाकिस्तान को आईएमएफ से 2.1 अरब डॉलर की मदद मिली, जिसमें से एक अरब डॉलर का नया लोन भी शामिल है। यह सहायता सितंबर 2024 में अप्रूव विस्तारित फंड सुविधा के तहत मिली है, जिसकी कुल राशि 7 अरब डॉलर है। भारत ने इस लोन पर कड़ा विरोध जताते हुए कहा कि यह पैसा आतंकवाद को समर्थन देने में इस्तेमाल हो सकता है।

शहबाज शरीफ ने माना कि बार-बार हाथ फैलाना अब अपमानजनक स्थिति बन चुका है। उन्होंने कहा कि चीन, सऊदी अरब, तुर्किये, कतर और यूएई जैसे देश अब पाकिस्तान से उम्मीद करते हैं कि वह नवाचार, व्यापार, निवेश और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग करे, ना कि कर्ज के लिए दर-दर भटके।

अपने संबोधन में शरीफ ने फील्ड मार्शल असीम मुनीर का भी उल्लेख करते हुए कहा कि वह और मुनीर अब इस बोझ को आखिरी बार उठाएंगे। उनका इशारा था कि पाकिस्तान को अब आत्मनिर्भर बनने की दिशा में निर्णायक कदम उठाने होंगे।

‘ऑपरेशन सिंदूर’ के संदर्भ में भी शहबाज शरीफ ने भारत के हमलों को स्वीकार करते हुए कहा कि ब्रह्मोस मिसाइलों से रावलपिंडी समेत कई एयरबेसों को निशाना बनाया गया। इससे पहले भी उन्होंने माना था कि 10 मई की सुबह भारतीय मिसाइलों ने नूर खान एयरबेस सहित कई सैन्य ठिकानों पर हमला किया था, जिससे सेना को बैकफुट पर जाना पड़ा।

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