ऑपरेशन सिंदूर: भारतीय रक्षा तकनीक ने दी चीन निर्मित हथियारों को करारा जवाब, अमेरिकी विशेषज्ञ का विश्लेषण

नई दिल्ली। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत की स्वदेशी रक्षा तकनीकों ने पाकिस्तान द्वारा उपयोग किए गए चीन निर्मित हथियारों को निर्णायक रूप से पछाड़ दिया। अमेरिकी रक्षा विशेषज्ञ और पूर्व सैन्य अधिकारी जॉन डब्ल्यू स्पेंसर ने अपने ताजा विश्लेषण में कहा है कि भारत की ‘मेक इन इंडिया’ पहल अब केवल नारा नहीं, बल्कि एक जमीनी हकीकत बन चुकी है।

चार दिनों तक चले इस संघर्ष में भारत ने ब्रह्मोस, आकाश, रुद्रम, सुखोई, मिराज जैसे स्वदेशी और उन्नत हथियारों का सफल प्रयोग किया, जबकि पाकिस्तान की चीन से प्राप्त जेएफ-17 थंडर और एचक्यू मिसाइलें कमजोर साबित हुईं।

भारतीय हथियारों ने दिखाई असाधारण क्षमता

स्पेंसर के अनुसार, ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ने बिना दुश्मन के रडार में आए लक्ष्य को नष्ट कर देने की क्षमता को साक्षात् सिद्ध किया। वहीं आकाश मिसाइल प्रणाली ने आकाशतीर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम के साथ मिलकर भारत के वायु सुरक्षा नेटवर्क को मजबूत किया।

इस संघर्ष में डीआरडीओ द्वारा विकसित रुद्रम एंटी-रेडिएशन मिसाइल, एम777 हॉवित्जर, टी-72 टैंक, सुखोई और मिराज लड़ाकू विमानों ने भारतीय सैन्य ताकत का नया चेहरा पेश किया।

पाकिस्तान और चीन के हथियारों की हुई किरकिरी

पाकिस्तान द्वारा इस्तेमाल किए गए जेएफ-17 थंडर विमान भारतीय वायु शक्ति के सामने टिक नहीं पाए। चीन निर्मित एचक्यू-9 और एचक्यू-16 मिसाइलें भारतीय जैमिंग तकनीक से नाकाम रहीं। एलवाई-80 और एफएम-90 जैसी मिसाइलें भारतीय ड्रोन और सटीक बमबारी को रोकने में विफल रहीं।

आत्मनिर्भर भारत की रणनीति रंग लाई

स्पेंसर ने लिखा है कि भारत ने 2014 से आत्मनिर्भरता की जो यात्रा शुरू की थी, उसने अब ठोस परिणाम देने शुरू कर दिए हैं। कोविड-19 महामारी और गलवान घाटी संघर्ष ने जब वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला की सीमाएं उजागर कीं, तब भारत ने रक्षा क्षेत्र में घरेलू निर्माण को नीति का हिस्सा बना लिया।

भारत ने रक्षा क्षेत्र में 74% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को अनुमति दी, जिससे ब्रह्मोस, के9 वज्र और एके-203 जैसे उपकरण अब भारत में ही बन रहे हैं। अब देश की रक्षा खरीद में घरेलू उत्पादों की हिस्सेदारी 65% हो गई है और 2030 तक इसे 90% तक ले जाने का लक्ष्य है।

चीन ने दी चुप्पी

पाकिस्तान की ओर से इस्तेमाल किए गए चीन निर्मित हथियारों की असफलता पर चीन ने चुप्पी साध ली है। चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता झांग शियाओगांग ने केवल इतना कहा कि पीएल-15ई मिसाइल एक आधुनिक प्रणाली है जिसे पाकिस्तान को निर्यात किया गया, लेकिन इसे मार गिराए जाने पर कोई टिप्पणी नहीं की।

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