नई दिल्ली | देश में ऑनलाइन सट्टेबाजी के बढ़ते चलन पर सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर चिंता व्यक्त की है। अदालत का कहना है कि इस डिजिटल लत ने करोड़ों युवाओं को अपनी चपेट में ले लिया है, और अकेले कानून बना देना इसका समाधान नहीं हो सकता।
सट्टेबाजी से जुड़ीं आत्महत्याएं और युवा आबादी पर असर
याचिका के अनुसार, 1000 से अधिक आत्महत्याएं उन लोगों द्वारा की गई हैं जो ऑनलाइन सट्टेबाजी में फंस चुके थे। लगभग 30 करोड़ युवा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इन प्लेटफॉर्म्स से प्रभावित हैं। चिंता का विषय यह है कि कई लोकप्रिय क्रिकेट खिलाड़ी और सेलिब्रिटी ऐसे ऐप्स का खुलेआम प्रचार कर रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट की तीखी टिप्पणी
न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा:
❝ जैसे हत्या को कानून से पूरी तरह नहीं रोका जा सकता, वैसे ही सट्टा भी कानून बनाकर नहीं रुकेगा। डिजिटल युग में एक ही व्यक्ति कई स्क्रीन से एक साथ कंटेंट देख सकता है, इसे कैसे रोका जाएगा? ❞
कोटा में छात्र आत्महत्याओं पर भी उठे सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार से कोटा में हो रही आत्महत्याओं पर भी सवाल उठाया। कोटा, जो देश का सबसे बड़ा कोचिंग हब है, वहां मानसिक दबाव के चलते आत्महत्या की घटनाएं चिंताजनक स्तर पर हैं।
आत्महत्या के आंकड़े (कोटा)
वर्ष | आत्महत्याएं |
---|---|
2022 | 15 |
2023 | 26 |
2024 | 17 |
2025 (अब तक) | 14 |
सरकार के उठाए गए कदम
- कोचिंग संस्थानों में अनिवार्य छुट्टियां
- मानसिक स्वास्थ्य की मासिक जांच
- छात्र सहायता हेल्पलाइन और परामर्शदाता
- 30% छात्रों ने काउंसलिंग ली है
नीति निर्माण की सख्त जरूरत
यह मामला स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि ऑनलाइन सट्टेबाजी, छात्रों का मानसिक तनाव और कोचिंग संस्कृति की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए केंद्र और राज्य सरकारों को ठोस और प्रभावी नीति निर्माण की आवश्यकता है।