निर्जला एकादशी 2025: इस बार व्रत रहेगा 24 घंटे से अधिक, जानिए कब और कैसे करें पारण
नई दिल्ली: हिंदू पंचांग के अनुसार निर्जला एकादशी का विशेष महत्व होता है। यह व्रत साल की सभी एकादशियों का फल अकेले ही देने वाला माना गया है। यह उपवास ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को रखा जाता है, जो वर्ष 2025 में 6 जून को पड़ रही है।
व्रत का समय और महत्व
इस बार निर्जला एकादशी व्रत की तिथि 6 जून 2025 को सुबह 2:15 बजे से शुरू होकर 7 जून को सुबह 4:47 बजे तक रहेगी। इस वर्ष एकादशी की तिथि दो दिनों तक उदयातिथि में रहेगी, जो इसे विशेष बनाता है। इस कारण व्रत की अवधि सामान्य 24 घंटे से अधिक हो गई है।
व्रत का पुण्य और नियम
धार्मिक मान्यता के अनुसार, निर्जला एकादशी का व्रत बिना जल ग्रहण किए रखा जाता है। यह व्रत करने से वर्ष भर की सभी 24 एकादशियों का फल प्राप्त होता है। व्रत से पहले दशमी तिथि की संध्या से अन्न-जल का त्याग कर देना चाहिए ताकि व्रत के दौरान शरीर पूरी तरह शुद्ध रहे।
पारण का समय
व्रतधारी 7 जून 2025 को दोपहर 1:44 बजे से शाम 4:31 बजे के बीच व्रत का पारण कर सकते हैं। पारण यानी उपवास खोलने के इस विशेष समय का पालन करने से व्रत का पूर्ण फल मिलता है।
वैष्णव संप्रदाय और सन्यासियों के लिए विशेष दिन
जो लोग वैराग्य मार्ग पर हैं या वैष्णव संप्रदाय से जुड़े हैं, वे 7 जून को व्रत रखकर 8 जून 2025 को सुबह 5:23 से 7:17 बजे के बीच पारण कर सकते हैं। इस्कॉन मंदिरों और अन्य वैष्णव पद्धतियों में यही तिथि मान्य होती है।
विशेष अनुशंसा
जो भक्त व्रत करना चाहते हैं, उन्हें चाहिए कि दशमी से ही सात्विक भोजन अपनाएं और तले-भुने पदार्थों का त्याग करें। निर्जला एकादशी का व्रत न केवल आध्यात्मिक शांति देता है, बल्कि गर्मी के मौसम में जलदान और सेवा भाव को भी प्रेरित करता है।