महासमुंद ज़िले में समर्थन मूल्य पर खरीदे गए धान के उठाव और भंडारण में भारी गड़बड़ियाँ सामने आई हैं। ताज़ा मामला पिथौरा स्थित कृष्णा राइस मिल का है, जहाँ से 6000 से अधिक सरकारी धान के कट्टे गायब पाए गए। यह मामला तब सामने आया जब खाद्य और विपणन विभाग की संयुक्त टीम ने रूटीन जांच के दौरान मिल का निरीक्षण किया।
जिला खाद्य अधिकारी अजय यादव ने बताया कि जांच में 6000 से ज्यादा धान के कट्टे अनुपस्थित मिले और पूछताछ पर मिल संचालक संतोषजनक उत्तर नहीं दे सका। इस पर उसे शोकॉज नोटिस जारी किया गया है। टीम ने पंचनामा बनाकर रिपोर्ट जिला कलेक्टर विनय लंगेह को सौंप दी है।
अमरकोट में 1.65 करोड़ रुपये की गड़बड़ी
एक बड़ा मामला अमरकोट स्थित धान उपार्जन केंद्र से जुड़ा है, जहाँ भौतिक सत्यापन में 11,416 बोरियां यानी लगभग 5348.68 क्विंटल धान कम पाया गया। प्रति क्विंटल 3100 रुपये की दर से यह गड़बड़ी करीब 1 करोड़ 65 लाख 80 हजार रुपये की मानी जा रही है। इस मामले में जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक रायपुर ने तीन कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया है और एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए हैं।
समय पर कार्रवाई नहीं तो अधिकारी होंगे जिम्मेदार
जांच टीम को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि समय रहते आवश्यक कार्रवाई नहीं होने पर संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध वैधानिक कार्रवाई की जाएगी।
मंडी में भी उठाव में अनियमितता
पिथौरा मंडी सचिव के अनुसार व्यापारी किसन अग्रवाल ने अपना धान 15 दिनों के लिए मंडी में मौखिक रूप से रखा था, लेकिन डेढ़ महीने बीत जाने के बाद भी उठाव नहीं किया गया। अब मंडी अधिनियम के अंतर्गत उनसे भंडारण शुल्क वसूला जाएगा।
जिले में व्यापक स्तर पर उठाव में लापरवाही
प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष 1,62,288 किसानों ने धान बेचने के लिए पंजीकरण कराया था, जिनमें से 1,53,270 किसानों ने धान बेचा। कुल 1,10,42,732 क्विंटल धान की खरीदी हुई थी। जांच में सरायपाली क्षेत्र की समितियों में 40,000 क्विंटल धान कम पाया गया, जबकि लगभग 1 लाख क्विंटल धान का उठाव अब तक नहीं हो पाया है। इससे अनियमितता की आशंका और गहरा गई है।
प्रशासन का दावा: उठाव प्रक्रिया में तेजी
जिला सहकारी बैंक के अधिकारियों का कहना है कि उठाव प्रक्रिया को तेज किया जा रहा है और सभी विभागों को सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं। कलेक्टर विनय लंगेह के निर्देश पर आगे भी सभी उपार्जन केंद्रों और राइस मिलों की गहन जांच की जाएगी।
महासमुंद में धान खरीदी और भंडारण की प्रक्रिया में हो रही गड़बड़ियों ने सरकारी तंत्र की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। करोड़ों रुपये के नुकसान और किसानों के हितों पर मंडरा रहे खतरे को देखते हुए अब यह देखना होगा कि प्रशासन दोषियों पर कब तक और कितनी सख्ती से कार्रवाई करता है।