पाकिस्तान के सिंध प्रांत में लश्कर-ए-तैयबा का शीर्ष कमांडर रजुल्ला निजामनी उर्फ अबू सैफुल्लाह अज्ञात हमलावरों की गोलियों का शिकार हो गया। सैफुल्लाह लंबे समय तक नेपाल में फर्जी पहचान के साथ छिपा हुआ था और भारत के खिलाफ कई आतंकी हमलों की साजिश रच चुका था। वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) मुख्यालय पर हुए हमले का मुख्य षड्यंत्रकर्ता भी था।
नेपाल से पाकिस्तान तक आतंक का नेटवर्क
सैफुल्लाह नेपाल में वर्षों तक छिपकर लश्कर और जमात-उद-दावा के लिए फंडिंग और आतंकी योजना तैयार करता रहा। भारतीय एजेंसियों को इसकी जानकारी लगने के बाद वह नेपाल से भागकर पाकिस्तान पहुंच गया था। पाकिस्तान के सिंध प्रांत के मतली इलाके में वह रह रहा था।
दिनदहाड़े मारी गई गोलियां
रविवार को वह अपने घर से बाहर निकला था, तभी मतली के फलकारा चौक पर अज्ञात हमलावरों ने उसे गोलियों से भून दिया। सरकारी सुरक्षा प्राप्त होने के बावजूद उसे नहीं बचाया जा सका। अस्पताल ले जाने पर उसे मृत घोषित कर दिया गया। बताया जा रहा है कि उसकी हत्या आपसी दुश्मनी या आतंकी नेटवर्क के आपसी टकराव का नतीजा हो सकती है।
भारत में रच चुका था कई हमलों की साजिश
सैफुल्लाह न केवल नागपुर स्थित RSS मुख्यालय पर आतंकी हमले का मास्टरमाइंड था, बल्कि वह 2005 में बेंगलुरु स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (IISc) पर हुए हमले और 2008 में रामपुर में CRPF कैंप पर हमले में भी शामिल था। इन हमलों में कई जानें गई थीं और दर्जनों लोग घायल हुए थे।
लश्कर के बड़े नेताओं से था संपर्क
सैफुल्लाह लश्कर के वरिष्ठ नेता अबू अनस और जमात-उद-दावा के संगठनों से गहरे संपर्क में था। वह लश्कर के लांचिंग कमांडर आजम चीमा और मुख्य लेखाकार याकूब के साथ मिलकर भारत विरोधी साजिशें रचता था।
पाकिस्तान में बढ़ रही है आतंकी सफाई
हाल के महीनों में पाकिस्तान में अज्ञात हमलावरों द्वारा कई प्रमुख आतंकियों की हत्याएं की गई हैं। मारे गए आतंकियों में अबु कताल सिंधी (हाफिज सईद का भतीजा), मौलाना काशिफ अली, मुफ्ती शाह मीर, रहमान तारिक, अकरम गाजी और जहूर इब्राहिम जैसे नाम शामिल हैं। यह घटनाएं बताती हैं कि पाकिस्तान में आतंकी नेटवर्क के भीतर आंतरिक संघर्ष बढ़ता जा रहा है।