कौड़ीकसा में मौत बनकर बह रहा पानी: आर्सेनिक की मार से युवाओं में लकवा, बुजुर्गों की फटी खाल

ग्राम कौड़ीकसा की कहानी: जहरीले पानी ने छीनी ज़िंदगी की रफ्तार, स्वास्थ्य संकट गहराया

छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के ग्राम कौड़ीकसा में वर्षों से लोग आर्सेनिक मिश्रित पानी पीने को मजबूर हैं। इसका भयावह असर अब स्पष्ट रूप से दिखने लगा है—बुजुर्गों की खाल इतनी कठोर हो चुकी है कि उन्हें औजार से काटना पड़ता है, तो वहीं युवाओं में लकवे के लक्षण सामने आ रहे हैं। गांव में गर्भाशय, लीवर और किडनी से जुड़ी बीमारियां आम हो चुकी हैं। यह महज एक गांव की नहीं, बल्कि उस उपेक्षित भारत की तस्वीर है जो अब भी स्वच्छ जल की मूलभूत सुविधा से वंचित है।

प्रभावित चेहरे: सेवा सिन्हा, पंचराम कोरिया, यशवंत सोनझरिया और पूर्व सरपंच युवराज तारम जैसे लोग इस संकट के जीवंत उदाहरण हैं, जिनकी हालत सरकारी उपेक्षा की पोल खोलती है।

विशेषज्ञों का मानना है कि भूमिगत जल में आर्सेनिक और अन्य भारी धातुओं के कारण यह स्थिति बनी है। लंबे समय तक सेवन से कैंसर तक का खतरा होता है।

सरकारी उदासीनता के बीच ग्रामीणों की मांगें:

  • संपूर्ण जल परीक्षण और रिपोर्ट सार्वजनिक करना
  • आर्सेनिक रिमूवल प्लांट की व्यवस्था
  • गांव में विशेष मेडिकल शिविरों का आयोजन
  • स्वच्छ जल के वैकल्पिक स्रोत जैसे टैंकर या रेनवॉटर हार्वेस्टिंग
  • दीर्घकालिक योजना के तहत जल स्रोतों की सफाई और निगरानी

यह वक्त है चेतने का—यह त्रासदी किसी एक गांव तक सीमित न रह जाए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *