*भोपाल | 21 मई 2025 मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता कमलनाथ ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को पत्र लिखकर छिंदवाड़ा जिले में आदिवासी समुदाय की जमीनों पर भू-माफियाओं द्वारा किए जा रहे कब्जे और शोषण के मामलों पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने पत्र में मांग की है कि जिले में आदिवासियों की जमीनों के अवैध हस्तांतरण की निष्पक्ष जांच कराई जाए और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो।*छिंदवाड़ा के आदिवासी क्षेत्रों में जमीन हड़पने का आरोप*कमलनाथ ने अपने पत्र में उल्लेख किया कि छिंदवाड़ा जिला आदिवासी बहुल है, जिसमें जमाई, तामिया, हरई, अमरवाड़ा, बिछुआ और पांढुर्णा जैसे क्षेत्र प्रमुख आदिवासी क्षेत्र हैं। इन क्षेत्रों के अलावा जिले के अन्य हिस्सों में भी आदिवासी भाई-बहन वर्षों से अपनी पैतृक जमीनों पर खेती-बाड़ी कर जीवन यापन कर रहे हैं।लेकिन हाल के वर्षों में भू-माफिया द्वारा योजनाबद्ध तरीके से इन आदिवासियों की जमीनों को बहकावे या धोखे से बाजार मूल्य से बेहद कम दर पर खरीदकर, अनुबंधों के जरिए नामांतरण करवा लिया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस प्रक्रिया में जिला प्रशासन की प्रत्यक्ष या परोक्ष भूमिका भी सामने आ रही है, जिससे आदिवासी समुदाय का हित बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।*जमीन का हो रहा व्यावसायिक उपयोग*पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि भू-माफिया द्वारा आदिवासियों से अधिग्रहित भूमि का उपयोग कॉलोनियों के विकास या व्यावसायिक परियोजनाओं के लिए किया जा रहा है। इस प्रक्रिया में दिखावटी तौर पर कुछ आदिवासियों के नाम पर ही अनुबंध पत्र तैयार किए जाते हैं, ताकि कागजों में प्रक्रिया वैध प्रतीत हो। लेकिन असल में यह पूरे समुदाय के अधिकारों का हनन है।*प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल*कमलनाथ ने यह भी कहा कि समय-समय पर स्थानीय मीडिया में इन मामलों की रिपोर्टिंग होती रही है, परंतु जिला प्रशासन द्वारा अब तक कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई है। उन्होंने इसे आदिवासी समुदाय के संवैधानिक अधिकारों के सीधे उल्लंघन की संज्ञा दी।भूमि अधिकारों की रक्षा के लिए वैधानिक कार्यवाही की मांगकमलनाथ ने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है कि छिंदवाड़ा जिले में आदिवासियों की भूमि हस्तांतरण से जुड़ी सभी प्रक्रियाओं की उचित और निष्पक्ष जांच कराई जाए, और जिन भू-माफियाओं ने अवैध रूप से जमीन हस्तगत की है, उनसे जमीन छुड़वाकर पुनः वास्तविक आदिवासी मालिकों को लौटाई जाए।उन्होंने बताया कि राजस्व संहिता के तहत आदिवासी भूमि के संरक्षण के लिए प्रावधान पहले से ही मौजूद हैं और राज्य के अन्य क्षेत्रों, विशेषकर बुधनी जैसे इलाकों में इनका सफल क्रियान्वयन भी हुआ है। छिंदवाड़ा में भी इसी तरह की कानूनी कार्रवाई अत्यंत आवश्यक है।*कमलनाथ का सीधा संदेश*पूर्व मुख्यमंत्री ने अंत में मुख्यमंत्री को संबोधित करते हुए कहा कि “आपसे अपेक्षा है कि इस मामले में संवेदनशीलता के साथ कार्रवाई की जाएगी, जिससे आदिवासी समुदाय अपने अधिकारों के साथ सुरक्षित जीवन यापन कर सके और अपनी भूमि पर स्वाभिमान के साथ खेती-बाड़ी करता रहे।”