जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में अब ‘कुलपति’ नहीं बल्कि ‘कुलगुरु’ कहा जाएगा। यह फैसला हाल ही में विश्वविद्यालय के अकादमिक और प्रशासनिक दस्तावेज़ों में लाया गया एक बदलाव है, जो अब सार्वजनिक रूप से सामने आया है।
विश्वविद्यालय प्रशासन ने पुष्टि की है कि संस्कृत आधारित शब्दावली को बढ़ावा देने के उद्देश्य से यह निर्णय लिया गया है। इसके तहत कुलपति (Vice-Chancellor) के लिए ‘कुलगुरु’, रजिस्ट्रार के लिए ‘कुलसचिव’, और अन्य प्रशासनिक पदों के नाम भी भारतीय भाषायी परंपरा के अनुसार बदले जा रहे हैं।
JNU प्रशासन के अनुसार, यह बदलाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप है, जिसमें भारतीय भाषाओं और सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने पर ज़ोर दिया गया है।
हालांकि, इस फैसले को लेकर कैंपस में मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। कुछ छात्र संगठनों ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि भाषा बदलने से शिक्षा की गुणवत्ता नहीं बदलती, जबकि कई प्रोफेसरों ने इसे भारतीय परंपरा से जुड़ने की दिशा में एक सकारात्मक कदम बताया।