मानवीय संकट और भूख के डर के बीच गाजा पट्टी में इस्राइली हमले तेज हो गए हैं। रविवार तक 103 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि सोमवार को एक ही दिन में इस्राइली रक्षा बलों (आईडीएफ) ने गाजा में 160 से अधिक ठिकानों को निशाना बनाया।
इस स्थिति के बीच ब्रिटेन, फ्रांस और कनाडा ने एक संयुक्त बयान जारी कर इस्राइल को कड़ी चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि यदि गाजा और वेस्ट बैंक में इस्राइली सैन्य कार्रवाई नहीं रुकी तो वे प्रतिबंध जैसे ठोस कदम उठाएंगे। तीनों देशों ने इस्राइल द्वारा सीमित मानवीय सहायता की अनुमति को “पूरी तरह अपर्याप्त” बताते हुए कड़ी आलोचना की है।
बयान में कहा गया, “हम आतंकवाद के खिलाफ इस्राइल के आत्मरक्षा अधिकार का समर्थन करते हैं, लेकिन मौजूदा सैन्य कार्रवाई असंगत है। गाजा में नई सैन्य कार्रवाइयों को तुरंत रोका जाए।”
नेतन्याहू ने सहयोगी देशों के दबाव में मानवीय सहायता को दी मंजूरी
इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने स्वीकार किया कि गाजा में राहत सामग्री की आंशिक बहाली सहयोगी देशों के दबाव में की गई है। उन्होंने यह भी कहा कि सहायता ‘न्यूनतम’ स्तर पर दी जाएगी। अभी भी सोमवार तक लोगों को मदद नहीं मिल पाई है।
संयुक्त राष्ट्र के मानवीय प्रमुख ने इस सहायता को “सागर में एक बूंद” करार दिया। गाजा में खाद्य सामग्री से लदे 20 ट्रक सीमा पर खड़े हैं, जिन्हें अनुमति नहीं मिल पाई है।
गाजा के दूसरे सबसे बड़े शहर को खाली करने का आदेश
इस्राइली सेना ने गाजा के शहर खान यूनिस और आसपास के क्षेत्रों को ‘खतरनाक युद्ध क्षेत्र’ घोषित करते हुए लोगों को वहां से हटने का आदेश दिया है। यह तब आया है जब इस्राइल ने ‘ऑपरेशन गिदोन के रथ’ के तहत गाजा में सैन्य कार्रवाई को और तेज कर दिया है।
आईडीएफ के प्रवक्ता ने कहा कि 7 अक्टूबर को हुए नरसंहार के बाद हमारा मिशन स्पष्ट है—बंधकों की वापसी और हमास की सैन्य क्षमता का अंत।