सिंधु जल संधि पर भारत का कड़ा रुख, आतंकवाद पर ठोस कार्रवाई तक निलंबन बरकरार

नई दिल्ली। भारत सरकार ने सिंधु जल संधि को निलंबित रखने के अपने निर्णय को बरकरार रखा है। जल शक्ति मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि जब तक पाकिस्तान सीमा पार से आतंकवाद को प्रायोजित करना पूरी तरह और विश्वसनीय रूप से बंद नहीं करता, तब तक भारत सिंधु जल संधि को बहाल नहीं करेगा।

जल शक्ति मंत्रालय की सचिव देबाश्री मुखर्जी ने कैबिनेट सचिव को सौंपी रिपोर्ट में कहा है कि यह निर्णय देश की सुरक्षा और नीति के अनुरूप लिया गया है। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि पाकिस्तान को यह स्पष्ट संदेश देना आवश्यक है कि आतंकवाद और द्विपक्षीय सहयोग एक साथ नहीं चल सकते।

पाकिस्तान के जल संसाधन सचिव सैयद अली मुर्तजा ने भारत के आपत्तियों पर चर्चा की इच्छा जताई है, लेकिन भारत ने अपना रुख साफ कर दिया है। भारत का कहना है कि अब केवल चर्चा नहीं, बल्कि ठोस कार्रवाई की आवश्यकता है।

बता दें कि यह फैसला जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद लिया गया था। इसके बाद भारत ने संधि पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने की घोषणा की थी।

क्या है सिंधु जल संधि?

साल 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुई सिंधु जल संधि के तहत भारत को ब्यास, रावी और सतलुज जैसी पूर्वी नदियों का जल उपयोग करने का अधिकार मिला था, जबकि पाकिस्तान को सिंधु, झेलम और चिनाब जैसी पश्चिमी नदियाँ सौंपी गई थीं। भारत दशकों से इस संधि का पालन करता आया है, लेकिन अब बढ़ते आतंकवाद और सीमापार हिंसा के कारण भारत ने अपनी नीति में सख्ती लाई है।

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