इंदौर में बैंक मैनेजर की सतर्कता ने बचाई बुजुर्ग की जमा-पूंजी: सेंट्रल स्कूल की रिटायर्ड प्रिंसिपल को डिजिटल अरेस्ट का डर दिखाकर ठग मांग रहे थे एक करोड़

दौर के तुकोगंज में साइबर ठगों ने सेंट्रल स्कूल की रिटायर्ड प्रिंसिपल नंदनी चिपलूणकर (80 वर्ष) को निशाना बनाकर एक करोड़ रुपये की ठगी की कोशिश की। ठगों ने डिजिटल अरेस्ट का डर दिखाकर नंदनी को 36 घंटे तक मानसिक रूप से बंधक बनाए रखा, लेकिन स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) की मैनेजर गीतांजलि गुप्ता की सतर्कता और इंदौर पुलिस की त्वरित कार्रवाई ने उनकी जीवनभर की कमाई बचा ली। यह घटना साइबर क्राइम के नए तरीके ‘डिजिटल अरेस्ट’ को उजागर करती है, जो बुजुर्गों को निशाना बनाने का ठगों का पसंदीदा हथियार बन रहा है।

कैसे शुरू हुआ ठगी का खेल

27 मई 2025 को नंदनी चिपलूणकर को एक फोन कॉल आया। कॉल करने वाली महिला ने खुद को टेलीकॉम रेगुलेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) की अधिकारी बताया और उनकी सिम बंद करने की धमकी दी। जब नंदनी ने कारण पूछा, तो कॉल को कथित रूप से मुंबई के कोलाबा पुलिस स्टेशन ट्रांसफर कर दिया गया। वहां एक पुरुष, जो खुद को डीसीपी अनंत कुमार आर्या बता रहा था, ने नंदनी पर जेट एयरवेज के मालिक नरेश गोयल से कथित अवैध लेनदेन का आरोप लगाया। इसके बाद एक अन्य महिला, जो खुद को IPS रश्मि शुक्ला बता रही थी, ने वीडियो कॉल पर नंदनी को डराया कि नरेश गोयल ने कोर्ट में उनका नाम लिया है और उनके खिलाफ 267 FIR दर्ज हैं।

ठगों ने नंदनी को डिजिटल अरेस्ट में रखा, उन्हें कमरे से बाहर निकलने, अपने पति या नौकर से बात करने से मना किया। वीडियो कॉल के जरिए 36 घंटे तक उनकी निगरानी की गई और डराया गया कि गिरफ्तारी से बचने के लिए एक करोड़ रुपये ट्रांसफर करने होंगे। डर के मारे नंदनी ने अपनी 52 लाख रुपये की बचत और 50 लाख रुपये की फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) तोड़कर पैसे ट्रांसफर करने की सहमति दे दी। इस दौरान वे इतनी डरी हुई थीं कि उन्होंने खुद को अपने कमरे में बंद कर लिया।

बैंक मैनेजर की सतर्कता बनी ढाल

29 मई 2025 को नंदनी SBI की तुकोगंज शाखा पहुंचीं और अपनी FD तोड़कर एक करोड़ रुपये ट्रांसफर करने की बात कही। बैंक मैनेजर गीतांजलि गुप्ता ने नंदनी की घबराहट, चेहरे पर तनाव और लगातार वीडियो कॉल पर बात करने को देखकर कुछ गड़बड़ होने का अंदेशा लगाया। गीतांजलि ने तुरंत सर्वर डाउन होने का बहाना बनाकर लेनदेन को टाल दिया और एडिशनल DCP (क्राइम ब्रांच) राजेश दंडोतिया को सूचित किया।

DCP दंडोतिया ने अपनी टीम के साथ नंदनी के घर पहुंचकर स्थिति को समझा। उन्होंने नंदनी को बताया कि “डिजिटल अरेस्ट” जैसी कोई कानूनी प्रक्रिया नहीं होती और यह साइबर ठगों का जाल है। नंदनी का मोबाइल तुरंत बंद करवाया गया। हालांकि, रविवार को मोबाइल चालू करते ही ठगों के कॉल फिर शुरू हो गए। इसके बाद DCP ने नंदनी की उम्र और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए उनके घर पर ही अज्ञात ठगों के खिलाफ FIR दर्ज की।

डिजिटल अरेस्ट: ठगी का नया हथियार

डिजिटल अरेस्ट साइबर ठगों का एक नया हथकंडा है, जिसमें वे वीडियो या ऑडियो कॉल के जरिए खुद को सरकारी अधिकारी (जैसे CBI, ED, पुलिस, या TRAI) बताकर लोगों को झूठे मामलों में फंसाने की धमकी देते हैं। पीड़ितों को डराकर उनके घर में ही मानसिक रूप से बंधक बनाया जाता है और बैंक खातों में पैसे ट्रांसफर करने का दबाव डाला जाता है। ठग अक्सर फर्जी पुलिस स्टेशन का बैकग्राउंड दिखाते हैं और पीड़ितों को 24×7 वीडियो कॉल पर रखते हैं|

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