सरकारी कोयला खदानों के चारों ओर फैला अवैध कोयला कारोबार अब बेनकाब होने लगा है। जमुनापाली कोल माइंस के आसपास बीते कुछ वर्षों से दर्जनों अवैध कोल डिपो सक्रिय हैं, जो खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। अब सरकार ने पहली बार इन डिपो का सर्वे कराने का निर्णय लिया है, जिससे प्रशासनिक हलकों में हलचल मच गई है।
क्या कहता है कानून?
कोल माइंस रेगुलेशन्स 2017 के अनुसार, किसी भी सरकारी कोयला खदान से 25 किलोमीटर के दायरे में कोई कोल डिपो, कोल क्रशर प्लांट या वॉशरी संचालित नहीं की जा सकती। यदि ऐसा पाया जाता है, तो इसके तहत कड़े प्रावधान लागू होते हैं:
₹1 लाख प्रति दिन का जुर्माना
लाइसेंस रद्द करने की कार्रवाई
डिपो को तुरंत सील करने की सिफारिश
फूल रहा है अवैध कारोबार का जाल
जमुनापाली से सुंदरगढ़ तक के क्षेत्र में दर्जनों कोल डिपो बेखौफ होकर काम कर रहे हैं। इनमे से कई डिपो पूरी तरह अवैध हैं। सूत्रों की मानें तो इन डिपो को कुछ नेताओं, मंत्रियों और अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त है, जिसके चलते प्रशासन अब तक आंख मूंदे बैठा था।
अब कार्रवाई की उम्मीद
अब जब पहली बार इन डिपो का सर्वे किया जा रहा है और रिपोर्ट तलब की गई है, तो संभव है कि वर्षों से चल रहे इस ‘काले कारोबार’ पर शिकंजा कसा जाए। जनता को उम्मीद है कि प्रशासन इस बार केवल कागजी कार्रवाई नहीं करेगा, बल्कि जमीन पर भी सख्ती से उतरेगा।