देश में जीएसटी टैक्स प्रणाली को पारदर्शी और प्रभावी बनाने की लगातार कोशिशें हो रही हैं, लेकिन इसके बावजूद कुछ लोग सिस्टम की खामियों का फायदा उठाकर सरकार को करोड़ों का चूना लगा रहे हैं। ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जिसमें कारोबारी अमन अग्रवाल ने फर्जी फर्मों के जरिए करीब 26 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी को अंजाम दिया।
जांच एजेंसियों के अनुसार, अमन अग्रवाल ने कई ऐसी फर्जी कंपनियों का निर्माण किया, जिनके नाम पर जीएसटी नंबर जारी कराए गए। इन कंपनियों के नाम पर भारी मात्रा में इनवॉइस जारी किए गए, जो वास्तविक व्यापार का हिस्सा नहीं थे। खास बात यह रही कि इनमें से कई जीएसटी नंबर ऐसे लोगों के नाम पर थे जो अब जीवित ही नहीं हैं — यानी मृतकों की पहचान का दुरुपयोग किया गया।
इस जालसाजी का मकसद था फर्जी लेन-देन दिखाकर इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का लाभ लेना और सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान पहुंचाना। एक बार यह फर्जीवाड़ा पकड़ा गया तो जांच एजेंसियों ने अमन अग्रवाल को गिरफ्तार कर लिया। यह उनकी पहली गिरफ्तारी मानी जा रही है, लेकिन यह भी माना जा रहा है कि इसके पीछे एक बड़ा नेटवर्क काम कर रहा है।
इस प्रकरण ने यह स्पष्ट कर दिया है कि टैक्स सिस्टम में अभी भी ऐसी खामियां मौजूद हैं, जिनका फायदा उठाकर धोखाधड़ी की जा सकती है। साथ ही, यह घटना टैक्स डिपार्टमेंट के लिए एक चेतावनी भी है कि उन्हें तकनीकी निगरानी और दस्तावेज़ सत्यापन की प्रक्रिया को और मजबूत करना होगा।