छत्तीसगढ़ में धान खरीदी के दौरान उपजे संकट का समाधान आखिरकार मिल गया है। राज्य सरकार और राइस मिलर्स के बीच हुई बातचीत के बाद, मिलर्स ने धान उठाव और कस्टम मिलिंग फिर से शुरू करने का निर्णय लिया है। सरकार ने मिलर्स को उनके पिछले वर्षों के बकाया भुगतान का आश्वासन दिया है, जिससे किसानों को भी राहत मिलेगी।
आंदोलन की पृष्ठभूमि
प्रदेश के 3,048 राइस मिलर्स ने पिछले सीजन की कस्टम मिलिंग राशि के भुगतान में देरी को लेकर असहयोग आंदोलन शुरू किया था। इसके चलते धान उपार्जन केंद्रों में धान का उठाव नहीं हो पा रहा था, जिससे किसानों को अपनी उपज बेचने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था।
सरकार और मिलर्स के बीच सहमति
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की पहल पर खाद्य मंत्री दयालदास बघेल और स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जयसवाल की मौजूदगी में राइस मिलर्स, लघु उद्योग भारती और भारतीय किसान संघ के प्रतिनिधियों के साथ बैठक हुई। बैठक में मिलर्स को उनके बकाया भुगतान का आश्वासन दिया गया, साथ ही अन्य मांगों पर भी सकारात्मक चर्चा हुई।
धान उठाव और मिलिंग फिर से शुरू
सहमति के बाद, मिलर्स ने धान का नियमित उठाव और कस्टम मिलिंग फिर से शुरू करने का निर्णय लिया है। वे अपने हिस्से का चावल भारतीय खाद्य निगम और नागरिक आपूर्ति निगम में जमा करेंगे। इससे उपार्जन केंद्रों में धान का जमाव कम होगा और किसानों को अपनी उपज बेचने में सुविधा होगी।
किसानों को भी राहत
धान खरीदी केंद्रों में धान के बढ़ते जमाव के कारण किसानों को अपनी उपज बेचने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था। मिलर्स के आंदोलन खत्म होने से अब धान का उठाव तेजी से होगा, जिससे किसानों को राहत मिलेगी।