गंगा दशहरा 2025: 5 जून को मनेगा पुण्यदायी पर्व, जानें गंगा अवतरण की पौराणिक कथा और महत्व

गंगा दशहरा का पर्व हिंदू धर्म में एक अत्यंत पवित्र और आध्यात्मिक महत्व रखने वाला दिन है। यह पर्व हर वर्ष ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। वर्ष 2025 में यह पर्व 5 जून को मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इसी दिन माँ गंगा का स्वर्ग से पृथ्वी पर अवतरण हुआ था।

गंगा अवतरण की पौराणिक कथा
मान्यता है कि राजा भगीरथ ने अपने पूर्वजों की मुक्ति के लिए कठोर तप किया था। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने गंगा को पृथ्वी पर भेजा, लेकिन उसकी तीव्र धारा को रोकने के लिए भगवान शिव ने उसे अपनी जटाओं में समाहित कर लिया। लगभग 32 दिनों तक गंगा शिव की जटाओं में रही, और अंततः ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को शिव ने अपनी एक जटा खोलकर गंगा को धरती पर प्रवाहित किया। यह दिन गंगा दशहरा के रूप में मनाया जाता है।

गंगा की महिमा और महत्व
हिंदू धर्म में माँ गंगा को देवी का दर्जा प्राप्त है। श्रीरामचरितमानस में तुलसीदास जी ने लिखा है: “गंग सकल मुद मंगल मूला, सब सुख करनि हरनि सब सूला।” अर्थात गंगा समस्त मंगलों की जड़ हैं, जो समस्त दुःखों का हरण करती हैं। गंगा का जल अमृत समान माना जाता है, जो मोक्षदायिनी है।

गंगा दशहरा की पूजा विधि
इस दिन गंगा स्नान करने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। यदि गंगा नदी में स्नान संभव न हो, तो गंगाजल मिलाकर घर में स्नान किया जा सकता है। इस दिन उपवास, भजन, गंगा आरती और दान-पुण्य का विशेष महत्व होता है। माना जाता है कि इस दिन माँ गंगा की सच्चे मन से पूजा करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।

दान का महत्व और वस्तुएँ
गंगा दशहरे के दिन दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन दस वस्तुएं दान करना विशेष फलदायी माना गया है, जैसे 10 फल, 10 पंखे, 10 सुराही, 10 छाते, या 10 भाग अन्न। यह संख्या “दशहरा” के दस पापों के नाश का प्रतीक है।

गंगा दशहरा 2025 की तिथि और योग
वैदिक पंचांग के अनुसार, दशमी तिथि 4 जून को रात 11:54 बजे शुरू होकर 6 जून को रात 2:15 बजे समाप्त होगी। इसलिए गंगा दशहरा का पर्व 5 जून को मनाया जाएगा। इस दिन रवि योग पूरे दिन रहेगा, जिससे स्वास्थ्य लाभ की संभावना है, जबकि सिद्धि योग सुबह 9:14 बजे तक रहेगा, जिससे साधक को मनोकामना सिद्धि का फल मिलेगा।

गंगा दशहरा का सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संदेश
गंगा दशहरा न केवल माँ गंगा की पूजा का पर्व है, बल्कि यह हमें गंगा की पवित्रता, उसकी महिमा और पर्यावरणीय संरक्षण का संदेश भी देता है। यह दिन आस्था, भक्ति और पर्यावरण के प्रति जागरूकता का प्रतीक है।

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