कोविड वैक्सीन से बच्चों में ऑटोइम्यून बीमारियों का खतरा, इजराइली और जर्मन शोध में चौंकाने वाले खुलासे

कोरोना के नए मामलों में बढ़ोतरी से चिंता, विशेषज्ञ बोले- वैक्सीनेशन जरूरी लेकिन शोध रिपोर्ट्स ने बढ़ाई आशंका

कोरोना वायरस एक बार फिर से वैश्विक स्तर पर चिंता का कारण बनता जा रहा है। बीते कुछ हफ्तों में अमेरिका, भारत, हांगकांग और सिंगापुर जैसे देशों में कोविड मामलों में तेज़ उछाल देखने को मिला है। अमेरिका में तो सीडीसी की रिपोर्ट के अनुसार हर हफ्ते 300 से ज्यादा मौतें हो रही हैं।

विशेषज्ञ मानते हैं कि JN.1 और इसके नए सब-वैरिएंट्स NB.1.8.1 और LF.7 तेजी से फैलने वाले हैं लेकिन ज़्यादातर मामलों में ये जानलेवा नहीं हैं। अधिकतर मौतें उन लोगों में हो रही हैं जो पहले से किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित हैं या जिनकी इम्युनिटी कमजोर है।

वैक्सीनेशन: बचाव का मजबूत तरीका या नई चिंताओं की जड़?

कोरोना से बचाव के लिए अब भी वैक्सीनेशन को सबसे कारगर उपाय माना जा रहा है, लेकिन हाल ही में सामने आई कुछ वैज्ञानिक रिपोर्ट्स ने इसकी सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं।

इजराइली अध्ययन: बच्चों में ऑटोइम्यून बीमारियों का 23% ज्यादा खतरा

इजराइल में किए गए एक अध्ययन में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। इस अध्ययन में करीब 4.93 लाख बच्चों और युवाओं के स्वास्थ्य डेटा का विश्लेषण किया गया। शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन्होंने कोविड वैक्सीन ली थी, उनमें बिना वैक्सीन वाले बच्चों की तुलना में ऑटोइम्यून बीमारियों का खतरा 23% अधिक था।

ये बीमारियां तब होती हैं जब शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अपने ही स्वस्थ ऊतकों पर हमला करना शुरू कर देती है। इनमें टाइप-1 डायबिटीज, सोरायसिस, रुमेटीइड आर्थराइटिस, सीलिएक डिजीज, और गुइलेन-बैरे सिंड्रोम जैसी गंभीर स्थितियां शामिल हैं।

जर्मन वैज्ञानिकों की चेतावनी: एमआरएनए वैक्सीन बदल सकती है जीन संरचना

मार्च 2025 में प्रकाशित एक अन्य शोध में जर्मनी के 19 वैज्ञानिकों ने दावा किया कि एमआरएनए आधारित कोविड वैक्सीन दीर्घकालिक आनुवंशिक प्रभाव छोड़ सकती है। इससे शरीर में सूजन की प्रतिक्रिया (Inflammatory Response) बढ़ सकती है, जो ऑटोइम्यून रोगों और कैंसर जैसी बीमारियों की शुरुआत का कारण बन सकता है।

प्रतिरक्षा प्रणाली में असंतुलन की आशंका

एक और अध्ययन में यह पाया गया कि वैक्सीन लेने वालों में प्रो-इंफ्लेमेटरी साइटोकिन्स का स्तर बढ़ा हुआ था, जो कि प्रतिरक्षा तंत्र को नियंत्रित करने वाले प्रोटीन होते हैं। जब इनका स्तर अनियंत्रित हो जाता है तो यह शरीर में क्रॉनिक सूजन और ऑटोइम्यून डिसऑर्डर्स को जन्म दे सकता है।

सावधानी जरूरी, लेकिन डर की नहीं जरूरत

हालांकि इन अध्ययनों ने चिंता जरूर बढ़ाई है, लेकिन स्वास्थ्य विशेषज्ञ अब भी वैक्सीनेशन को कोविड से बचाव का सबसे प्रभावी उपाय मानते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि वैक्सीन से जुड़े जोखिम बेहद दुर्लभ हैं और इसके लाभ कहीं अधिक हैं। फिर भी, जागरूकता और निगरानी बेहद जरूरी है, खासकर बच्चों और युवाओं के मामलों में।

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