महीनों की शांति के बाद क्यों बढ़ रहे हैं कोरोना के मामले?
कोरोना वायरस, जो साल 2024 के शुरुआती महीनों में शांत हो चुका था, अब फिर से उभार पर है। अमेरिका समेत कई देशों में संक्रमण और मौतों की संख्या में तेजी देखी जा रही है। जीन वैज्ञानिकों के अनुसार इस बार ओमिक्रॉन के नए सब-वैरिएंट्स इसके पीछे मुख्य कारण हैं।
ओमिक्रॉन के नए वैरिएंट्स से बढ़ा संक्रमण
जो वायरस अब तेजी से फैल रहा है, वह ओमिक्रॉन का नया रूप JN.1 है। इसके साथ ही NB.1.8.1 और LF.7 जैसे सब-वैरिएंट्स भी सामने आए हैं, जिनमें अधिक संक्रमण फैलाने की क्षमता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने NB.1.8.1 को “वैरिएंट ऑफ मॉनिटरिंग” के रूप में चिन्हित किया है।
क्या महामारी लौट रही है?
इस सवाल के जवाब में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के जीन वैज्ञानिक प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे ने अमर उजाला से बातचीत में बताया कि –
“ओमिक्रॉन और उसके सब-वैरिएंट्स वायरस की प्राकृतिक म्यूटेशन प्रक्रिया का हिस्सा हैं। म्यूटेशन के कारण वायरस हमारी इम्युनिटी को चकमा देकर शरीर में प्रवेश कर लेता है।”
म्यूटेशन और इम्युनिटी की गणना
प्रो. चौबे कहते हैं कि यदि किसी व्यक्ति के शरीर में 2 यूनिट एंटीबॉडी हैं, तो वायरस कुछ समय बाद खुद को इस तरह बदल सकता है कि वह इन एंटीबॉडी को बायपास कर ले। यही कारण है कि पहले संक्रमित या वैक्सीनेटेड लोग भी दोबारा संक्रमित हो सकते हैं।
ओमिक्रॉन ज्यादा खतरनाक नहीं, लेकिन…
प्रोफेसर चौबे के मुताबिक ओमिक्रॉन अपेक्षाकृत स्थिर वैरिएंट है और डेल्टा या गामा जितना घातक नहीं है। अब तक इस वायरस में 130 से अधिक म्यूटेशन हो चुके हैं। जिन लोगों की इम्युनिटी अच्छी है, उन्हें ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है।
क्यों बढ़ रहा है खतरा?
संक्रमण में इजाफा होने के पीछे तीन मुख्य कारण बताए गए हैं:
- वायरस में लगातार हो रहे म्यूटेशन – ये म्यूटेशन वायरस को नई ताकत और इम्युनिटी से बचने की क्षमता देते हैं।
- कमजोर होती एंटीबॉडीज – समय के साथ वैक्सीनेशन या संक्रमण से बनी एंटीबॉडी घटती जाती हैं।
- कमजोर इम्युनिटी वाले लोग – जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली पहले से कमजोर है, वे वायरस की चपेट में जल्दी आते हैं।
क्या करना चाहिए?
- नियमित मास्क पहनें
- बार-बार हाथ धोएं
- भीड़भाड़ से बचें
- लक्षण दिखते ही जांच कराएं
- वैक्सीनेशन जरूर कराएं