मई 2025 में वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) का औसत स्तर 430.5 भाग प्रति मिलियन (PPM) तक पहुंच गया, जो अब तक का सबसे ऊंचा स्तर है। हवाई स्थित मौना लोआ वेधशाला से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, यह स्तर मई 2024 की तुलना में 3.6 पीपीएम अधिक है। यह बढ़ोतरी जलवायु परिवर्तन, समुद्री जैव विविधता और पर्यावरण संतुलन के लिए गंभीर चेतावनी मानी जा रही है।
कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के स्क्रिप्स ओशियानोग्राफी संस्थान और अमेरिका की राष्ट्रीय समुद्री वायुमंडलीय संस्था (NOAA) के वैज्ञानिकों ने बताया कि यह बढ़ता स्तर वैश्विक तापमान में वृद्धि, समुद्रों की अम्लता में बढ़ोतरी और मौसम के चरम रूपों के लिए जिम्मेदार है।
समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र पर सीधा असर
CO₂ की अधिक मात्रा समुद्रों को अधिक अम्लीय बना रही है, जिससे मूंगे, सीप और झींगे जैसे समुद्री जीवों के जीवन पर संकट बढ़ रहा है। इससे समुद्रों में ऑक्सीजन की मात्रा भी घट रही है, जो समुद्री पारिस्थितिकी के लिए खतरनाक है।
मानव गतिविधियाँ बनीं मूल कारण
वैज्ञानिकों के अनुसार, इस संकट के पीछे प्रमुख रूप से मानवीय गतिविधियाँ जिम्मेदार हैं—जैसे कि जीवाश्म ईंधनों का अत्यधिक उपयोग, तेजी से होती वनों की कटाई, औद्योगिक प्रदूषण और अनियंत्रित ट्रांसपोर्ट सिस्टम ।