चित्रकोट पंचायत विवाद: नाका सीलिंग और फर्जी FIR से ग्रामीणों में आक्रोश, राज्यपाल को सौंपा ज्ञापन

बस्तर, चित्रकोट। चित्रकोट ग्राम पंचायत में एसडीएम लोहंडीगुड़ा द्वारा बिना पूर्व सूचना नाका सील करने और सरपंच सहित ग्रामीणों पर फर्जी एफआईआर दर्ज करने की कार्रवाई के खिलाफ ग्रामीणों का आक्रोश फूट पड़ा है। इस मामले को लेकर पंचायत प्रतिनिधियों और ग्रामीणों ने महामहिम राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा है और चेतावनी दी है कि यदि जल्द सुधार नहीं हुआ तो वे उग्र आंदोलन करेंगे।

ग्राम पंचायत के अधिकारों का हनन?

चित्रकोट पंचायत पर्यटन अधिनियम की अनुसूची में शामिल है, जिसके तहत उसे पार्किंग शुल्क लेने और उस राशि को ग्राम विकास व स्वच्छता कार्यों में लगाने का अधिकार है। 2021 से पंचायत द्वारा संचालित इस नाके को हाल ही में एसडीएम द्वारा सील कर दिया गया, जिससे ग्रामीणों में गहरी नाराजगी है।

ग्रामीणों का आरोप है कि यह कार्रवाई न केवल ग्राम पंचायत के वैधानिक अधिकारों का हनन है, बल्कि सरपंच व अन्य लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 189 व 126(2) के तहत फर्जी प्राथमिकी दर्ज की गई है, जो सरासर अन्याय है।

मुख्य मांगें और चेतावनी:

  • फर्जी एफआईआर को तत्काल निरस्त किया जाए।
  • पंचायत नाके को फिर से शुरू करने की अनुमति मिले।
  • संबंधित एसडीएम पर प्रशासनिक कार्रवाई की जाए।
  • नाके से प्राप्त राशि केवल ग्राम विकास और पर्यटन व्यवस्था पर खर्च हो।
  • पंचायत प्रतिनिधियों को धमकाने की कोशिशें बंद की जाएं।
  • पंचायतों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित की जाए।
  • मांगें नहीं माने जाने पर एसडीएम कार्यालय का घेराव कर आंदोलन होगा।

पंचायती आत्मसम्मान का प्रश्न

ग्राम पंचायत प्रतिनिधियों का कहना है कि यह मामला केवल एक प्रशासनिक आदेश नहीं, बल्कि स्थानीय स्वशासन की आत्मनिर्भरता और सम्मान की लड़ाई है। यदि प्रशासन समय रहते जिम्मेदारी नहीं लेता, तो आंदोलन की जिम्मेदारी भी उसी की होगी।

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