नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति बीआर गवई आज भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगे। वह आर्किटेक्ट बनना चाहते थे, लेकिन अपने पिता की इच्छा पूरी करने के लिए वकील बन गए। गवई के पिता रामकृष्ण सूर्यभान गवई भी वकील बनना चाहते थे, लेकिन सामाजिक क्षेत्र में अपने काम के कारण वे दूसरे साल के बाद पढ़ाई जारी नहीं रख सके।
भारत के मुख्य न्यायाधीश बनने वाले भूषण रामकृष्ण गवाई आर्किटेक्ट बनना चाहते थे, लेकिन अपने पिता की इच्छा पूरी करने के लिए वह वकील बन गए। गवई के करीबी सूत्रों ने बताया कि उनके पिता रामकृष्ण सूर्यभान गवई ने उनसे कहा था कि एक दिन तुम भारत के मुख्य न्यायाधीश बनोगे, लेकिन मैं वह दिन देखने के लिए वहां नहीं रहूंगा। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस गवई आज भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगे। वे जस्टिस संजीव खन्ना की जगह लेंगे, जो मंगलवार को सेवानिवृत्त हुए।
जस्टिस गवई के पिता रामकृष्ण एक प्रसिद्ध आंबेडकरवादी नेता और रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के संस्थापक थे। उनके अनुयायी और प्रशंसक उन्हें प्यार से दादा साहब कहते थे। सूत्रों ने बताया कि आरएस गवई वकील बनना चाहते थे और उन्होंने लॉ स्कूल में दाखिला लिया था। लेकिन सामाजिक क्षेत्र में अपने काम के कारण वे दूसरे साल के बाद पढ़ाई जारी नहीं रख सके।
आर्किटेक्ट बनना चाहते थे बीआर गवई
जस्टिस बीआर गवई आर्किटेक्ट बनना चाहते थे, लेकिन उनके पिता ने उन्हें कहा कि वह वकील बनें और उनका सपना पूरा करें। उन्होंने नागपुर विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री ली और 16 मार्च 1985 को प्रैक्टिस शुरू कर दी। बाद में, बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सीके ठक्कर ने हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए उनके नाम की सिफारिश करने के लिए उनकी सहमति मांगी। उन्हें इसमें कोई दिलचस्पी नहीं थी। लेकिन उन्होंने अपने पिता से सलाह ली। गवई के पिता ने उनसे कहा, ‘तुम समाज में और अधिक योगदान दोगे। एक दिन तुम भारत के मुख्य न्यायाधीश बनोगे। लेकिन मैं वह दिन देखने के लिए वहां नहीं रहूंगा।’ न्यायमूर्ति गवई के पिता की मृत्यु 2015 में हुई थी। तब तक बीआर गवई सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश नियुक्त नहीं हुए थे।
अमरावती के सरकारी स्कूल से शुरू हुई पढ़ाई
न्यामूर्ति गवई की स्कूल की पढ़ाई अमरावती के एक सरकारी स्कूल से शुरू हुई थी। जब उनके पिता महाराष्ट्र विधान परिषद के उपाध्यक्ष बने, तब वे मुंबई आ गए और वहां चिकित्सा समूह माध्यमिक शाला में पढ़ाई की। गवई के भाई-बहन एक कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ते थे। उनकी मां कमलताई को लगता था कि मराठी माध्यम के स्कूल में पढ़ने से जस्टिस गवई अंग्रेजी में पिछड़ जाएंगे, इसलिए उन्होंने कोलाबा के होली नेम हाई स्कूल में उनका दाखिला करा दिया। एक वकील के रूप में अपना करियर शुरू करने के बाद, न्यायमूर्ति गवई ने बॉम्बे हाईकोर्ट में स्वतंत्र रूप से प्रैक्टिस की। 1990 के बाद, उन्होंने नागपुर में प्रैक्टिस की।