छत्तीसगढ़ सरकार ने पुलिस की कार्यशैली को आम नागरिकों के लिए और अधिक सरल, पारदर्शी और संवादात्मक बनाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। अब पुलिस के दस्तावेज़ों और रिकॉर्ड में कठिन उर्दू-फारसी शब्दों का इस्तेमाल नहीं होगा। इसके स्थान पर सहज और आम हिंदी शब्दों का प्रयोग किया जाएगा, ताकि कम पढ़े-लिखे नागरिक भी आसानी से पुलिस प्रक्रिया को समझ सकें।
गृह मंत्री और डिप्टी सीएम विजय शर्मा के निर्देश पर पुलिस महानिदेशक (DGP) ने सभी जिला पुलिस अधीक्षकों (SP) को पत्र जारी कर यह बदलाव तुरंत लागू करने का आदेश दिया है। इसमें 109 पुराने कठिन शब्दों की सूची दी गई है, जिन्हें सरल हिंदी शब्दों से बदला जाएगा।
अब बदल जाएंगे ये शब्द:
हलफनामा → शपथ पत्र
दफा → धारा
फरियादी → शिकायतकर्ता
चश्मदीद → प्रत्यक्षदर्शी
खयानत → हड़पना (हथियाना)
गोशवारा → नक्शा
नकबजनी → सेंध (चोरी)
माल मशरूका → लूटी या चोरी की गई संपत्ति
रोजनामचा → सामान्य दैनिकी (जनरल डायरी)
शिनाख्त → पहचान
अदालत दीवानी → सिविल न्यायालय
फौजदारी अदालत → दंडिक न्यायालय
जरायम → अपराध
जयदादे मशरुका → कुर्क की गई संपत्ति
जिलाबदर → निर्वासन (निष्कासन)
साकिन → पता
जनसंपर्क का नया रास्ता
डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने कहा कि पुलिस का मुख्य उद्देश्य नागरिकों की सहायता और सुरक्षा है, तो पुलिस की भाषा भी ऐसी होनी चाहिए जिसे नागरिक आसानी से समझ सकें। इस फैसले से एफआईआर, शिकायत और अन्य पुलिस प्रक्रियाएं आम लोगों के लिए सहज और स्पष्ट हो जाएंगी।
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह आदेश केवल कागजों में नहीं रहेगा, बल्कि इसका सख्ती से पालन हर थाने, पुलिस चौकी और ऑफिस में सुनिश्चित किया जाएगा।
फायदा क्या होगा?
- आम नागरिक पुलिस रिकॉर्ड और एफआईआर को खुद समझ सकेंगे।
- वकीलों और पुलिस कर्मियों के अलावा हर व्यक्ति अपनी बात सही तरीके से रख सकेगा।
- पुलिस और जनता के बीच संवाद और विश्वास मजबूत होगा।