रायपुर. छत्तीसगढ़ के ज्यादातर जिलों में खरीफ सीजन की बुआई शुरू होने वाली है, लेकिन किसान सबसे जरूरी डीएपी खाद के लिए दर-दर भटक रहे हैं। राज्य की हजारों सहकारी समितियों में डीएपी का स्टॉक या तो खत्म हो गया है या पहुँचा ही नहीं। हालात ये हैं कि कई जिलों में किसान लाइन लगाकर लौट रहे हैं खाली हाथ।
लक्ष्य के मुकाबले आधे से भी कम भंडारण
राज्य को इस सीजन में करीब 16 लाख मीट्रिक टन डीएपी की जरूरत है, लेकिन अब तक केवल 6.4 लाख मीट्रिक टन ही पहुँच सका है। मार्कफेड और सहकारिता विभाग की रिपोर्ट खुद इस किल्लत की पुष्टि कर रही है। कई जिलों में टोकन सिस्टम के बावजूद किसानों को खाद नहीं मिल रही।
बिलासपुर, रायगढ़, महासमुंद, दुर्ग – हर जगह हाहाकार
बिलासपुर जिले में 5000 से अधिक किसानों को डीएपी की जरूरत थी, लेकिन आपूर्ति हुई सिर्फ 1500 बोरियों की। वहीं, महासमुंद और रायगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों में समितियों के बाहर सुबह से लाइन लगने के बावजूद दोपहर तक स्टॉक खत्म हो गया।
किसानों की जेब पर सीधा असर
सरकारी दर ₹1350 प्रति बोरी है, लेकिन निजी दुकानों पर यही खाद ₹1600 से ₹1700 में बिक रही है। किसान मजबूरी में महंगे दाम चुकाने को मजबूर हैं, जिससे खेती की लागत बढ़ती जा रही है। छोटे और सीमांत किसानों के लिए ये हालात और भी ज्यादा चिंताजनक हैं।
‘खाली झोला लेकर लौटा घर’, बोले किसान
जांजगीर-चांपा के किसान रमेश साहू ने कहा, “सुबह 5 बजे से लाइन में था, टोकन मिला लेकिन डीएपी नहीं मिली। अब तो लगता है बुआई भी टाइम पर नहीं हो पाएगी।” ऐसी ही स्थिति राजनांदगांव और कबीरधाम जिलों में भी देखी जा रही है।
अधिकारियों का दावा – जल्द सुधरेगी आपूर्ति
कृषि विभाग का कहना है कि केंद्र से डीएपी रैक मिलने में देर हो रही है। अगले 4-5 दिनों में 1.5 लाख मीट्रिक टन खाद छत्तीसगढ़ पहुंचने की उम्मीद है। लेकिन तब तक जिन किसानों की बुआई शुरू हो चुकी है, उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।