खरीफ सीजन शुरू होने से पहले ही छत्तीसगढ़ में किसानों की चिंताएं बढ़ने लगी हैं। डीएपी (डाय-अमोनियम फॉस्फेट) खाद की भारी कमी सामने आई है। राज्य में 2 लाख मीट्रिक टन डीएपी खाद की जरूरत है, लेकिन फिलहाल सिर्फ 50 हजार मीट्रिक टन ही उपलब्ध है। यानी जरूरत का महज एक चौथाई खाद ही किसानों को मिल पाएगा।
किसानों की मुसीबतें होंगी दोगुनी
मानसून की दस्तक के साथ ही खेतों में बुवाई की तैयारी तेज हो गई है। लेकिन डीएपी खाद की किल्लत ने किसानों को परेशान कर दिया है। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि यदि समय पर खाद की आपूर्ति नहीं हुई तो फसल उत्पादन पर गहरा असर पड़ सकता है।
वैकल्पिक उर्वरकों की सलाह
सरकार किसानों को वैकल्पिक उर्वरकों के इस्तेमाल की सलाह दे रही है। कृषि विभाग ने किसानों को एनपीके और अन्य उर्वरकों का उपयोग करने के लिए जागरूक करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। हालांकि, अधिकांश किसान पारंपरिक डीएपी पर ही निर्भर हैं।
खरीफ की तैयारियों में बाधा
खरीफ सीजन की फसलों के लिए डीएपी अहम है, खासकर धान की खेती के लिए। राज्य के कई जिलों में खाद वितरण केंद्रों पर लंबी कतारें देखी जा रही हैं। कुछ स्थानों पर कालाबाजारी की भी खबरें हैं।
कृषि विभाग की सफाई
राज्य कृषि विभाग का कहना है कि केंद्र सरकार से खाद की अतिरिक्त आपूर्ति मांगी गई है। अगले कुछ हफ्तों में स्थिति में सुधार होने की संभावना जताई जा रही है। विभाग ने यह भी कहा है कि खाद वितरण की निगरानी के लिए जिला स्तरीय टीमों का गठन किया गया है।