“अगर फिर लौटा कोरोना तो छत्तीसगढ़ कैसे लड़ेगा जंग? तैयारियां अधूरी, सिस्टम ठप”

राजधानी रायपुर में कोविड-19 का नया मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है। स्वास्थ्य विभाग ने सतर्कता बढ़ा दी है और आवश्यक एहतियाती कदम उठाए जा रहे हैं ताकि संक्रमण को फैलने से रोका जा सके।

हालांकि, राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की स्थिति चिंताजनक है। 2021 में जब महामारी की दूसरी लहर ने कहर बरपाया था, तब प्रदेश में 81,000 से ज्यादा मौतें दर्ज हुई थीं। उस समय कई अस्थायी कोविड केयर सेंटर और ऑक्सीजन प्लांट बनाए गए थे, लेकिन अब उनमें से अधिकतर या तो बंद हैं या देखरेख के अभाव में जर्जर हो चुके हैं।

कोविड केयर सेंटर: अब खंडहर बन चुके हैं

2021 में जिन स्कूलों, कॉलेजों और सामुदायिक भवनों को कोविड केयर सेंटर में बदला गया था, वे अब या तो अपने मूल रूप में लौट चुके हैं या वीरान पड़े हैं। कई जगह तो बेड, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर और जरूरी उपकरण धूल फांक रहे हैं।

ऑक्सीजन प्लांट: उद्घाटन के बाद हुए निष्क्रिय

राज्य में लगभग 170 ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट की योजना बनाई गई थी। इनमें से कई प्लांट या तो शुरू ही नहीं हुए या तकनीकी खराबी से बंद हैं। जिन प्लांटों का उद्घाटन हुआ, वहां मेंटेनेंस न होने से मशीनें जंग खा रही हैं। कई जिलों में ऑपरेटर तक तैनात नहीं हैं।

स्वास्थ्य अमले की हालत भी चिंताजनक

स्वास्थ्य अमला भी पुराने तनाव और संसाधनों की कमी से जूझ रहा है। नर्सिंग स्टाफ की भारी कमी है। ट्रेंड डॉक्टरों को कोविड ड्यूटी के लिए तैयार नहीं किया गया। वैक्सीनेशन बूथ सीमित कर दिए गए हैं, जबकि बूस्टर डोज़ की जरूरत अब भी बनी हुई है।

विशेषज्ञों की चेतावनी: ‘खतरा टला नहीं, नींद से जागे सरकार’

विशेषज्ञ मानते हैं कि कोरोना वायरस का खतरा टला नहीं है। बार-बार बदलते वैरिएंट्स और मौसम में बदलाव के साथ संक्रमण की आशंका बनी रहती है। ऐसे में पूर्व तैयारियों की अनदेखी भारी पड़ सकती है।

सरकारी दावा बनाम जमीनी हकीकत

स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि ज़रूरत पड़ने पर फौरन सभी व्यवस्थाएं चालू की जा सकती हैं, लेकिन जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल अलग है। न स्टाफ उपलब्ध है, न फंड का आवंटन स्पष्ट है, और न ही कोई आपातकालीन ड्रिल चल रही है।

 

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