भ्रष्टाचार भारत की शासन व्यवस्था को दीमक की तरह खा रहा है। यह समस्या केवल शासन-प्रशासन तक सीमित नहीं रही, बल्कि अब यह शिक्षा जैसी पवित्र संस्थाओं और आम जनता से जुड़े राजस्व विभागों तक पहुँच गई है। छत्तीसगढ़ में सामने आए दो ताजा मामले इस बात की पुष्टि करते हैं।
रायपुर: विश्वविद्यालय में रिश्वत लेते पकड़ा गया क्लर्क
राजधानी रायपुर के पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई। यहाँ कार्यरत एक लिपिक (क्लर्क) को एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने 30 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया। आरोप है कि उक्त क्लर्क छात्र के प्रमाण पत्र व अन्य दस्तावेज़ों को जारी करने के एवज में घूस की माँग कर रहा था। शिकायतकर्ता की सूचना के आधार पर ACB की टीम ने योजनाबद्ध तरीके से जाल बिछाया और आरोपी को रिश्वत लेते समय धर दबोचा। यह घटना न केवल प्रशासनिक व्यवस्था की विफलता को उजागर करती है, बल्कि उच्च शिक्षा की पवित्रता पर भी सवाल खड़े करती है।
मुंगेली: पटवारी भी घूस लेते पकड़ा गया
दूसरी घटना मुंगेली जिले से आई, जहाँ एक पटवारी को भी रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया। ACB ने बताया कि यह पटवारी जमीन से संबंधित दस्तावेज़ों की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए रिश्वत की माँग कर रहा था। शिकायत पर त्वरित कार्रवाई करते हुए ACB की टीम ने यहां भी जाल बिछाया और आरोपी पटवारी को रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया।
दोनों घटनाओं का व्यापक महत्व
ये दोनों घटनाएं स्पष्ट रूप से दर्शाती हैं कि भ्रष्टाचार केवल एक व्यक्ति की लालच नहीं, बल्कि एक व्यवस्था की कमजोरी का परिणाम है। जब विश्वविद्यालय जैसे शैक्षणिक संस्थानों में कार्यरत कर्मचारी और किसानों से सीधे जुड़े राजस्व अधिकारी भी घूस लेने लगते हैं, तो यह आम जनता के विश्वास को गहरी चोट पहुँचाता है।