देश ने आज एक नया इतिहास रच दिया है। जम्मू-कश्मीर की खूबसूरत वादियों में चिनाब नदी पर बना दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को समर्पित किया। इस अद्भुत पुल के निर्माण में सेल (स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड) और विशेष रूप से भिलाई इस्पात संयंत्र (बीएसपी) की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
करीब 1.3 किलोमीटर लंबा और नदी तल से 359 मीटर ऊंचा यह पुल न केवल एफिल टॉवर से भी ऊंचा है, बल्कि यह 266 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली हवाओं और तेज भूकंपों को भी झेलने में सक्षम है। कटरा-बनिहाल सेक्शन के तहत यह पुल उधमपुर-श्रीनगर-बारामुल्ला रेल लिंक परियोजना का अहम हिस्सा है।
सेल का स्टील बना इस इंजीनियरिंग चमत्कार की रीढ़
इस मेगाप्रोजेक्ट में करीब 29,000 मीट्रिक टन स्टील का उपयोग हुआ, जिसमें सेल की हिस्सेदारी 16,000 टन रही। खास बात यह है कि इसमें से अकेले भिलाई इस्पात संयंत्र ने 12,432 टन स्टील की आपूर्ति की — जिसमें 5922 टन टीएमटी स्टील, 6454 टन स्टील प्लेट्स और 56 टन स्ट्रक्चरल स्टील शामिल हैं।
अन्य संयंत्रों में बर्नपुर, राउरकेला, बोकारो और दुर्गापुर भी शामिल रहे जिन्होंने इस परियोजना के लिए विशेष ग्रेड के इस्पात की आपूर्ति की।
हाईटेक और बहुपयोगी
इस पुल के निर्माण में प्रयुक्त स्टील भूकंपीय प्रभाव और मौसमीय बदलावों को झेलने में सक्षम है। पुल को हर मौसम में उपयोग लायक बनाया गया है ताकि जम्मू-कश्मीर जैसे संवेदनशील और दुर्गम क्षेत्र में रेल संपर्क बना रहे।
भिलाई का बढ़ता गौरव
भिलाई इस्पात संयंत्र की पहचान अब केवल एक औद्योगिक इकाई के रूप में नहीं रही, बल्कि यह देश की रणनीतिक और अवसंरचनात्मक विकास यात्रा का अहम भाग बन चुका है। बीएसपी द्वारा उत्पादित स्टील का उपयोग मुंबई के बांद्रा-वर्ली सी लिंक, अटल सेतु, अरुणाचल की सेला सुरंग, हिमाचल की अटल सुरंग, और दिल्ली की सेंट्रल विस्टा परियोजना में भी हो चुका है।