चीन अब दुनिया का सबसे बड़ा ऋणदाता और वसूलकर्ता देश बन चुका है, जिसने 150 देशों को बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के माध्यम से अपने कर्ज जाल में फंसा लिया है। ऑस्ट्रेलिया के थिंक टैंक Lowy Institute की रिपोर्ट के मुताबिक, 2025 में चीन 3 लाख करोड़ रुपए वसूलेगा, जिनमें से 1.9 लाख करोड़ केवल 75 सबसे गरीब देशों से लिए जाएंगे।
1. चीन का कुल बकाया कर्ज:
94 लाख करोड़ रुपये विकासशील देशों पर बकाया है।
2. सबसे ज्यादा कर्ज से दबे देश:
42 देश ऐसे हैं, जिन पर उनकी GDP से 10% से अधिक चीनी कर्ज है।
3. कर्ज चुकाने में टैक्स का उपयोग:
46 गरीब देशों ने 2023 में अपने टैक्स का 20% हिस्सा सिर्फ कर्ज अदायगी में खर्च किया।
4. उच्च ब्याज दर:
चीनी ऋणों पर ब्याज दर 4.2% से 6% तक है, जबकि OECD देशों की औसत दर मात्र 1.1% है।
5. चीन की रणनीति:
कर्ज के बदले संसाधन या संपत्तियां गिरवी रखवाता है (जैसे वेनेजुएला, अंगोला)
विकास सहायता के बजाय बाजार दर पर कर्ज देता है
कई कर्ज छिपे हुए हैं, जो वर्ल्ड बैंक तक को रिपोर्ट नहीं किए गए (33 लाख करोड़ का कर्ज)
6. बीआरआई परियोजनाओं में भ्रष्टाचार:
35% प्रोजेक्ट भ्रष्टाचार और शोषण से ग्रस्त हैं।
डिफॉल्ट और जोखिम में देश:
श्रीलंका: 2022 में डिफॉल्ट, हंबनटोटा पोर्ट 99 साल की लीज पर चीन को दिया।
पाकिस्तान: 2024 में 17,000 करोड़ रु. कर्ज की परिपक्वता बढ़ाई।
जाम्बिया: 2020 में डिफॉल्ट, कर्ज पुनर्गठन जारी।
अंगोला: मार्च 2024 में मासिक भुगतान घटाने पर सहमति।
लाओस: GDP से अधिक कर्ज, वित्तीय तनाव में।
चीन का उद्देश्य क्या है?
प्राकृतिक संसाधनों और रणनीतिक क्षेत्रों पर पकड़ बनाना।
कमजोर लोकतंत्र वाले देशों को निशाना बनाना।
भविष्य में भू-राजनीतिक दबाव के लिए जमीनी आधार तैयार करना।