नई दिल्ली। मई 2025 में वैश्विक वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) का स्तर 430.5 पीपीएम (पार्ट्स पर मिलियन) तक पहुँच गया, जो अब तक का सबसे अधिक औसत है। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि यह बढ़ता स्तर जलवायु परिवर्तन को तेज कर रहा है और समुद्री जीवन के लिए गंभीर खतरा बनता जा रहा है।
यह जानकारी हवाई में स्थित मौना लोआ वेधशाला द्वारा दी गई, जो वैश्विक सीओ₂ निगरानी का प्रमुख केंद्र मानी जाती है। रिपोर्ट के अनुसार, औद्योगिक क्रांति से अब तक वायुमंडलीय CO₂ की मात्रा में 50% तक की वृद्धि हो चुकी है। वर्तमान में हर साल लगभग 4000 करोड़ टन CO₂ वायुमंडल में छोड़ा जा रहा है।
CO₂ के कारण न केवल पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है, बल्कि महासागरों में अम्लीयता भी बढ़ रही है, जिससे शैवाल, मूंगे और मछलियों जैसे समुद्री जीवों का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि मई 2025 का औसत मई 2024 की तुलना में 3.6 पीपीएम अधिक रहा।
प्राकृतिक आपदाएं, जैसे हीटवेव, सूखा, चक्रवात, और जंगलों में आग, बढ़ती CO₂ की वजह से और अधिक तीव्र और बारंबार होती जा रही हैं।