वृद्धावस्था में बढ़ती आर्थिक असुरक्षा: पेंशन और बचत एक बड़ी चुनौती

रिपोर्ट में खुलासा: 40% से अधिक बुजुर्ग गरीबी रेखा के नीचे या उसके करीब, जीवनयापन के लिए दूसरों पर निर्भर

नई दिल्ली। भारत में बढ़ती उम्रदराज आबादी के सामने सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभरी है – आर्थिक असुरक्षा

हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, देश के 40% से अधिक बुजुर्ग गरीबी रेखा के नीचे या उसके आसपास जीवन बिता रहे हैं। इसके चलते वे अपनी बुनियादी जरूरतों के लिए बच्चों, परिवार या समाज पर निर्भर रहने को मजबूर हैं।

बुजुर्गों की आर्थिक स्थिति चिंताजनक

रिपोर्ट में बताया गया है कि 60% से अधिक बुजुर्गों ने अपनी आर्थिक स्थिति को खराब या अस्थिर बताया। उनमें से कई के पास कोई स्थायी आय नहीं है और वे सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से वंचित हैं।

पेंशन पाने वाले केवल 8.6%

भारत में सिर्फ 8.6% बुजुर्गों को ही किसी प्रकार की पेंशन मिल रही है। इसकी वजह यह मानी जा रही है कि ये बुजुर्ग सक्रिय जीवन में असंगठित क्षेत्रों में काम करते रहे, जिससे उन्हें रिटायरमेंट के बाद की आर्थिक सुरक्षा नहीं मिल पाई।

36% बुजुर्ग अब भी कर रहे हैं काम

देश में 36% बुजुर्ग आज भी काम करने को मजबूर हैं। इनमें से कई ऐसे हैं जो आराम चाहते हैं, लेकिन सीमित बचत और संसाधनों के कारण उन्हें काम करना पड़ रहा है।

संपत्ति और बचत की कमी से गहराई समस्या

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बुजुर्गों के पास सीमित आर्थिक संसाधन होते हैं। वृद्धावस्था में स्वास्थ्य, भोजन और देखभाल जैसी ज़रूरतें बढ़ जाती हैं, लेकिन संसाधनों की कमी के कारण वे संतोषजनक जीवन नहीं जी पाते।

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