भोपाल के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने एक बार फिर चिकित्सा क्षेत्र में अपनी काबिलियत साबित की है। एक 20 दिन के नवजात शिशु की जान बचाने के लिए डॉक्टरों ने असाधारण साहस और तकनीकी कौशल का परिचय दिया। शिशु को मस्तिष्क संबंधी संदिग्ध समस्या के साथ अस्पताल में भर्ती किया गया था। प्रारंभिक जांच में स्थिति स्पष्ट न होने पर डॉक्टरों ने मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (एमआरआई) का सहारा लिया। नवजात शिशुओं के लिए एमआरआई एक जटिल और जोखिम भरी प्रक्रिया है, जिसमें तेज शोर और बंद टनल जैसी चुनौतियां शामिल हैं। फिर भी, एम्स की विशेषज्ञ टीम ने 45 मिनट की इस प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा किया। एमआरआई से शिशु में ब्रेन इंजरी का पता चला, जिसके बाद तुरंत उपचार शुरू कर उसकी जान बचाई गई।
क्या थी चुनौतियां?
नवजात शिशुओं में एमआरआई एक बेहद संवेदनशील प्रक्रिया है। एमआरआई मशीन का तेज शोर और बंद टनल शिशु के लिए डरावना हो सकता है। साथ ही, शिशु की नाजुक स्थिति को देखते हुए उसे स्थिर रखना और प्रक्रिया के दौरान उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती थी। एम्स भोपाल के न्यूरोलॉजी और रेडियोलॉजी विभाग की संयुक्त टीम ने विशेष उपकरणों और प्रोटोकॉल का उपयोग कर इस प्रक्रिया को अंजाम दिया। शिशु को हल्का सेडेशन दिया गया और विशेषज्ञ नर्सिंग स्टाफ ने उसकी हर गतिविधि पर नजर रखी। 45 मिनट की इस प्रक्रिया में शिशु की स्थिति स्थिर रही, और डॉक्टरों को मस्तिष्क की स्पष्ट तस्वीरें मिलीं, जिससे ब्रेन इंजरी का सटीक निदान संभव हुआ।
समय पर उपचार ने बचाई जान
एमआरआई से पता चला कि शिशु को मस्तिष्क में हल्की चोट थी, जो समय पर निदान न होने पर गंभीर हो सकती थी। निदान के तुरंत बाद न्यूरोलॉजिस्ट और बाल रोग विशेषज्ञों की टीम ने उपचार शुरू किया। शिशु को विशेष दवाएं और देखभाल दी गई, जिसके परिणामस्वरूप उसकी स्थिति में तेजी से सुधार हुआ। एम्स के डॉक्टरों ने बताया कि समय पर निदान और उपचार के कारण शिशु अब खतरे से बाहर है और उसकी रिकवरी संतोषजनक है।
परिवार और डॉक्टरों का बयान
शिशु के माता-पिता ने एम्स भोपाल की टीम को धन्यवाद देते हुए कहा, “हमारी बेटी की जान बचाने के लिए हम डॉक्टरों के आभारी हैं। यह हमारे लिए किसी चमत्कार से कम नहीं।” एम्स के न्यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख ने कहा, “नवजात शिशुओं में एमआरआई जैसी जटिल प्रक्रिया को सफलतापूर्वक करना हमारी टीम की विशेषज्ञता को दर्शाता है। हमारा लक्ष्य हर मरीज को बेहतर इलाज देना है।”
एम्स भोपाल की तकनीकी क्षमता
भोपाल एम्स ने हाल के वर्षों में अपनी उन्नत चिकित्सा सुविधाओं और विशेषज्ञ चिकित्सकों की बदौलत कई जटिल मामलों में सफलता हासिल की है। नवजात शिशुओं के लिए एमआरआई जैसी सुविधाएं और विशेष देखभाल इकाइयां (NICU) इसे मध्य भारत में स्वास्थ्य सेवाओं का एक प्रमुख केंद्र बनाती हैं। इस घटना ने एक बार फिर साबित किया कि समय पर निदान और उन्नत तकनीक जान बचाने में कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।