नई दिल्ली।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने दो टूक शब्दों में कहा है कि भारत की विदेश नीति किसी एक नेता या व्यक्ति पर आधारित नहीं होती, चाहे वह डोनाल्ड ट्रंप हों या कोई और। भारत हमेशा अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देता है। जयशंकर का यह बयान उस समय आया है जब भारत और अमेरिका के बीच सीमा पार आतंकवाद जैसे मुद्दों पर मतभेद सामने आ रहे हैं।
यूरोपीय दौरे पर पहुंचे जयशंकर से जब पूछा गया कि क्या भारत डोनाल्ड ट्रंप पर भरोसा करता है, तो उन्होंने कहा, “भारत उन सभी संबंधों को मजबूत करना चाहता है जो उसके हित में हों। यह किसी ‘व्यक्ति X’ या ‘राष्ट्रपति Y’ की बात नहीं है। हमारा ध्यान भारत के दीर्घकालिक हितों पर है।”
आतंकवाद पर यूरोप को कड़ी चेतावनी
जयशंकर ने यूरोपीय देशों को आगाह किया कि आतंकवाद केवल भारत-पाकिस्तान का मुद्दा नहीं है, यह वैश्विक समस्या है। उन्होंने कहा, “अगर आज आप आतंकवाद को नजरअंदाज करते हैं तो कल यह आपके दरवाजे पर भी दस्तक देगा।”
उन्होंने पाकिस्तान में ओसामा बिन लादेन के सुरक्षित छिपे रहने का मुद्दा उठाते हुए कहा, “क्या आपने सोचा कि ओसामा पाकिस्तान की सैन्य छावनी में इतने सालों तक कैसे सुरक्षित था?”
रूस पर भारत का स्पष्ट रुख
रूस-यूक्रेन युद्ध पर भारत के रुख को लेकर उठाए गए सवालों पर जयशंकर ने साफ किया कि भारत युद्ध को समस्या का समाधान नहीं मानता। उन्होंने कहा, “हम किसी के पक्ष में या खिलाफ नहीं हैं, हम शांति और संवाद में विश्वास करते हैं। भारत के रूस और यूक्रेन दोनों से अच्छे संबंध हैं।”
उन्होंने यह भी याद दिलाया कि जब पाकिस्तान ने भारत की सीमाओं का उल्लंघन किया था, तब पश्चिमी देश चुप थे। “अगर वही देश आज अंतरराष्ट्रीय सिद्धांतों की बात करते हैं तो हमें भी उनके अतीत को याद करने का अधिकार है।”
चीन और डेटा सुरक्षा पर भारत का फोकस
जयशंकर ने कहा कि आज कई यूरोपीय कंपनियां भारत में निवेश कर रही हैं ताकि वे चीन पर अपनी निर्भरता कम कर सकें। उन्होंने डेटा सुरक्षा पर भी जोर देते हुए कहा, “कोई भी कंपनी अपना डेटा ऐसे देश में नहीं रखना चाहेगी जिस पर वह भरोसा न कर सके। भारत एक सुरक्षित और भरोसेमंद विकल्प बन रहा है।”