पश्चिम एशिया में इस्राइल और ईरान के बीच बढ़ते संघर्ष ने वैश्विक स्तर पर नई चिंता खड़ी कर दी है। इस विवाद का प्रभाव अब भारत की इंटरनेट कनेक्टिविटी पर भी पड़ने की आशंका है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस क्षेत्र में बढ़ते तनाव से अरब सागर के नीचे बिछी भारत की डिजिटल लाइफलाइन यानी सबमरीन फाइबर ऑप्टिक केबल्स खतरे में आ सकती हैं।
भारत की इंटरनेट कनेक्टिविटी पर मंडरा रहा बड़ा खतरा
भारत की वैश्विक इंटरनेट कनेक्शन मुख्य रूप से समुद्र के नीचे बिछी फाइबर केबल्स पर निर्भर है, जो पश्चिम एशिया, अरब सागर और लाल सागर से होते हुए यूरोप और अमेरिका तक जुड़ी हैं। इस केबल नेटवर्क का बड़ा हिस्सा मिस्र, सऊदी अरब, जॉर्डन, इस्राइल और भूमध्यसागर से होकर गुजरता है।
अगर इस्राइल-ईरान तनाव किसी बड़े युद्ध में बदलता है, तो इन समुद्री केबल्स की सुरक्षा गंभीर संकट में आ सकती है। युद्ध की स्थिति में इन केबल्स के क्षतिग्रस्त होने या मेंटेनेंस कार्य रुकने की स्थिति में भारत की इंटरनेट स्पीड, डेटा ट्रैफिक और ऑनलाइन सेवाओं पर बड़ा असर पड़ सकता है।
इंटरनेट सेवाओं पर संभावित प्रभाव
यदि समुद्री मार्गों में किसी प्रकार की बाधा आती है, तो भारत की डेटा ट्रैफिक क्षमता सीमित हो सकती है। इसके कारण अंतरराष्ट्रीय कॉल, वीडियो स्ट्रीमिंग, क्लाउड सेवाएं और डिजिटल लेन-देन जैसी सेवाओं में रुकावट आ सकती है। हालांकि बैकअप रूट्स मौजूद होते हैं, लेकिन उनकी क्षमता बहुत सीमित होती है और वे लंबे समय तक भारी ट्रैफिक का दबाव नहीं झेल सकते।
विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यदि तनाव और अधिक बढ़ा तो भारत समेत पूरे एशिया और यूरोप के बीच इंटरनेट कनेक्टिविटी पर गंभीर असर पड़ेगा, जिससे वैश्विक व्यापार और संचार में भी रुकावट आ सकती है।