भारत में 16वीं जनगणना अब 2027 में डिजिटल रूप से कराई जाएगी, जो कि देश की पहली डिजिटल जनगणना होगी। यह जनगणना 16 साल बाद हो रही है, क्योंकि पिछली बार यह प्रक्रिया 2011 में हुई थी। 2021 में यह जनगणना होनी थी, लेकिन कोरोना महामारी के चलते इसे टाल दिया गया।
अप्रैल 2026 से मकानों की गिनती होगी शुरू
इस बार जनगणना दो चरणों में होगी। पहला चरण मकानों के सूचीकरण का होगा, जिसकी शुरुआत अप्रैल 2026 से होगी। इसके बाद 2027 में लोगों की जनसंख्या गिनती होगी।
घर-घर जाकर 30 लाख कर्मचारी करेंगे सर्वे
इस ऐतिहासिक जनगणना अभियान में 30 लाख से ज्यादा कर्मचारी और पर्यवेक्षक लगाए जाएंगे। इन्हें पहले प्रशिक्षण दिया जाएगा और फिर ये घर-घर जाकर जानकारी जुटाएंगे। इस पूरी प्रक्रिया पर लगभग 13,000 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।
डिजिटल जनगणना में लोग खुद भर सकेंगे जानकारी
डिजिटल होने के कारण लोग अपनी जानकारी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर भी भर सकेंगे। इसमें नागरिकों से रहने की स्थिति, खाना पकाने का ईंधन, पानी का स्रोत, शौचालय, छत और दीवार की सामग्री, रसोई की उपलब्धता जैसे प्रश्न पूछे जाएंगे।
एनपीआर पर स्थिति स्पष्ट नहीं
अब तक यह साफ नहीं है कि इस जनगणना में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को अपडेट किया जाएगा या नहीं।
2027 में पहली बार होगी जातिगत जनगणना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 30 अप्रैल 2025 को घोषणा की थी कि अगली जनगणना के साथ जातिगत जनगणना भी कराई जाएगी। इसके तहत मार्च 2027 से पूरे देश में और अक्टूबर 2026 से बर्फबारी प्रभावित राज्यों जैसे जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में जातिवार गिनती की जाएगी।
आज़ादी के बाद पहली बार इतनी विस्तृत जातिगत गणना
भारत में अंतिम बार 1931 की जनगणना में सभी जातियों के आंकड़े प्रकाशित किए गए थे। आज़ादी के बाद से अब तक केवल अनुसूचित जातियों और जनजातियों के ही जातिगत आंकड़े जारी किए जाते रहे हैं। यह पहली बार होगा जब पूरे भारत की जातिगत संरचना का व्यापक डाटा सामने आएगा।