भारत-चीन के बीच दुर्लभ खनिजों की आपूर्ति पर अहम बातचीत, भारत तलाश रहा वैकल्पिक समाधान

चीन की खनिज निर्यात नीति में हुए बदलाव के कारण वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में संकट पैदा हो गया है। भारत इस चुनौती का स्मार्ट समाधान खोजते हुए, न केवल चीन से पारदर्शी और स्थिर आपूर्ति की मांग कर रहा है, बल्कि मध्य एशिया और अन्य अंतरराष्ट्रीय साझेदारों के साथ भी मजबूत गठजोड़ कर रहा है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने जानकारी दी कि भारत लगातार बीजिंग और दिल्ली में चीनी अधिकारियों के साथ संपर्क में है ताकि खनिज आपूर्ति श्रृंखला में कोई रुकावट न हो। चीन ने अप्रैल 2025 से कुछ दुर्लभ खनिजों के निर्यात पर सख्ती लगाई है, जिससे भारतीय ऑटोमोबाइल और घरेलू उपकरण उद्योग प्रभावित हुए हैं।

अमेरिका-चीन डील के बाद भारत की रणनीति तेज

इस बीच, अमेरिका और चीन के बीच हुए व्यापार समझौते में अमेरिका को दुर्लभ खनिजों की निश्चित आपूर्ति का लाभ मिलेगा। इस पर भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि यह पूरी दुनिया के लिए एक सीख है और भारत अब तेजी से वैकल्पिक आपूर्ति श्रोत विकसित कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत इस चुनौती को अवसर में बदलने के लिए सरकार, उद्योग और अनुसंधान क्षेत्र के साथ मिलकर कार्य कर रहा है।

मध्य एशिया के साथ खनिज सहयोग

भारत ने कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और किर्गिस्तान जैसे मध्य एशियाई देशों के साथ दुर्लभ खनिजों की खोज और आपूर्ति के लिए सहयोग बढ़ाया है। भारत-मध्य एशिया रेयर अर्थ फोरम, जो सितंबर 2024 में दिल्ली में हुआ था, काफी सफल रहा और जल्द ही दूसरा सम्मेलन आयोजित करने की योजना है।

बांग्लादेश में टैगोर के पैतृक घर पर हमला, भारत ने जताई सख्त नाराजगी

भारत के विदेश मंत्रालय ने बांग्लादेश में रवींद्रनाथ टैगोर के पैतृक घर पर हुए हमले की कड़ी निंदा की है। प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इसे “अत्यंत निंदनीय” करार देते हुए कहा कि यह गुरुदेव टैगोर की समावेशी विचारधारा पर सीधा हमला है। भारत ने बांग्लादेश सरकार से इस घटना पर त्वरित और कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

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