अपरा एकादशी 2025: प्रेत योनि से मुक्ति दिलाने वाला चमत्कारी व्रत, जानें कथा, योग और महत्व

व्रत तिथि और शुभ संयोग

इस वर्ष अपरा एकादशी शुक्रवार, 23 मई 2025 को पड़ रही है। इस दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आराधना की जाती है। ज्योतिषीय गणना के अनुसार, इस दिन उत्तराभाद्रपद नक्षत्र शाम 4:02 बजे तक और प्रीति योग शाम 6:36 बजे तक रहेगा, जो इसे अति शुभ बनाते हैं।

अपरा एकादशी का महत्व

हिंदू धर्म में अपरा एकादशी व्रत को पापों से मुक्ति, नकारात्मक ऊर्जा के नाश और मोक्ष प्राप्ति का दिन माना गया है। मान्यता है कि इस दिन व्रत और भगवान विष्णु की उपासना करने से साधक को ब्रह्म हत्या जैसे महापापों से छुटकारा मिलता है, साथ ही भूत-प्रेत बाधाओं से भी मुक्ति मिलती है।

अपरा एकादशी व्रत कथा

पुराणों के अनुसार, एक बार राजा युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा कि अपरा एकादशी का क्या महत्व है। तब श्रीकृष्ण ने उन्हें एक प्राचीन कथा सुनाई।

बहुत पहले महीध्वज नाम के एक धर्मात्मा राजा थे जो सदैव पुण्य कर्म में लीन रहते थे। उनके छोटे भाई वज्रध्वज को उनसे ईर्ष्या थी और उसने एक रात अपने ही भाई की हत्या कर दी। शव को जंगल में एक पीपल के पेड़ के नीचे दफना दिया। अकाल मृत्यु के कारण राजा की आत्मा प्रेत बनकर उसी पेड़ पर भटकने लगी और वहां से गुजरने वाले लोगों को परेशान करने लगी।

एक दिन धौम्य ऋषि उधर से गुजरे। प्रेतात्मा ने उन्हें भी डराने का प्रयास किया, परंतु तपस्वी होने के कारण ऋषि ने आत्मा को नियंत्रित कर लिया। जब उन्हें राजा की करुण कथा का पता चला, तो उन्होंने उसकी मुक्ति के लिए अपरा एकादशी का व्रत रखा और विशेष जप-तप किया। व्रत के प्रभाव से राजा को प्रेत योनि से मुक्ति मिल गई।

इस दिन करें यह कार्य

  • सुबह स्नान कर व्रत का संकल्प लें
  • भगवान विष्णु को पीले पुष्प, तुलसी दल और पंचामृत से अर्पित करें
  • अपरा एकादशी की व्रत कथा का श्रवण करें
  • दिनभर उपवास रखें, रात्रि में जागरण और कीर्तन करें
  • अगले दिन द्वादशी को व्रत का पार

 इस व्रत से लाभ

  • पापों से छुटकारा
  • कार्यों में सफलता
  • पूर्वजों की आत्मा की शांति
  • प्रेत बाधा से मुक्ति
  • धन एवं सुख-समृद्धि की प्राप्ति

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