3 जुलाई से शुरू होगी अमरनाथ यात्रा 2025, जानिए धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व
भारत के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक, श्री अमरनाथ गुफा की यात्रा इस वर्ष 3 जुलाई से शुरू होगी और 9 अगस्त, रक्षाबंधन के दिन समाप्त होगी। 38 दिनों तक चलने वाली यह पवित्र यात्रा लाखों शिव भक्तों को हिमलिंग के दिव्य दर्शन कराएगी। जम्मू-कश्मीर की पहाड़ियों में स्थित यह गुफा हर वर्ष एक अलौकिक चमत्कार की साक्षी बनती है, जहां बर्फ से स्वयंभू शिवलिंग बनता है।
धार्मिक कथा से जुड़ी अमरनाथ यात्रा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, अमरनाथ गुफा वह पावन स्थान है, जहां भगवान शिव ने माता पार्वती को अमरता का रहस्य सुनाया था, जिसे “अमर कथा” कहा जाता है। कथा के अनुसार, एक कबूतर जोड़ा इस गुफा में छिपकर यह कथा सुनता रहा और वे अमर हो गए। आज भी श्रद्धालुओं को वहां कबूतरों की जोड़ी दिखाई देती है, जिसे आस्था का प्रतीक माना जाता है।
श्रावण मास में शिव योग और ज्योतिषीय महत्व
अमरनाथ यात्रा श्रावण मास में होती है, जो भगवान शिव को समर्पित होता है। इस मास में की गई शिव आराधना विशेष फलदायक मानी जाती है। धार्मिक और ज्योतिषीय मान्यता है कि इस दौरान बन रहे “शिव योग” के प्रभाव से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और कर्मों का शोधन होता है। शनि, राहु और केतु जैसे ग्रहों के दुष्प्रभावों से मुक्ति के लिए यह यात्रा अत्यंत प्रभावी मानी जाती है।
कर्मों से मुक्ति और आत्मशुद्धि का मार्ग
अमरनाथ यात्रा केवल एक तीर्थ यात्रा नहीं, बल्कि आत्मा की गहराइयों को स्पर्श करने वाला अनुभव है। कठिन पर्वतीय मार्ग, विषम जलवायु और कष्टों से भरी यह यात्रा व्यक्ति के अंदर धैर्य, श्रद्धा और आस्था की परीक्षा लेती है। शास्त्रों के अनुसार, यह यात्रा व्यक्ति के कर्मों का शोधन कर मोक्ष प्राप्ति में सहायक होती है।
मनोकामनाओं की पूर्ति का केंद्र
ऐसा विश्वास है कि अमरनाथ गुफा में बाबा बर्फानी से मांगी गई हर मनोकामना पूर्ण होती है। बर्फ से बना यह शिवलिंग प्रकृति और ईश्वर के मिलन का अद्भुत प्रमाण है, जो हर भक्त के हृदय में गहन श्रद्धा और विश्वास भर देता है।